khatu shyam mela: होली तक चलेगा बाबा खाटू श्याम का यह अद्भुत मेला, जानें इससे जुड़ा रोचक इतिहास
Khatu shyam mela: हिंदू धर्म में बाबा खाटू श्याम को कलियुग के प्रमुख देवता के तौर पर पूजा जाता है. बाबा खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में मौजूद है, जहां फाल्गुन महीने में बाबा खाटू श्याम के लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान देश-विदेश से बाबा खाटू श्याम के लाखों-करोड़ों भक्त यहां पहुंचते हैं और मेले का आनंद उठाते हैं. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति बाबा खाटू के इस मेले में दर्शन के लिए आता है, उसकी सारी मनोकामनाएं बाबा श्याम हर लेते हैं.
ऐसे में आज हम आपको इस मेले से जुड़े होली के कुछ एक रोचक किस्से बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आप अवश्य ही इस मेले में जाने के लिए उत्सुक हो जाएंगे, तो चलिए जानते हैं….
बाबा खाटू श्याम के लक्खी मेले का महत्व
जैसा की आपको विदित है कि महाभारत के पांडव भीम के प्रपौत्र बर्बरीक को आज बाबा खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है. जिनके पिता भीम के बेटे घटोत्कच और माता का नाम कामकंटका है.
बर्बरीक को देवी माता से तीन ऐसे बाणों का आशीर्वाद मिला था, जोकि अपना लक्ष्य भेदने के बाद वापस आ सकते थे. इतना ही नही, बर्बरीक ने अपनी माता को यह वचन दिया था कि वह हमेशा उस व्यक्ति का साथ देंगे जो कि हारा होगा या फिर युद्ध में हारने की स्थिति में होगा.
ऐसे में जब भगवान कृष्ण को बर्बरीक के इस वचन के बारे में जानकारी हुई, तब उन्होंने पांडवों के हित को ध्यान में रखते हुए बर्बरीक के सिर को मांग लिया, जिसके बाद बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सिर काट कर दे दिया.
ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रसन्न होकर उन्हें खाटू श्याम का दर्जा दिया, जिन्हें कलियुग में सबसे अधिक पूजे जाने का वरदान भी मिला है. आज बाबा खाटू श्याम का मंदिर उसी स्थान पर बना है, जहां पर बाबा खाटू श्याम का शीश प्राप्त हुआ था.
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बाबा खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान के सीकर में मौजूद है, जहां बने श्याम कुंड को ही बाबा खाटू श्याम के शीश का स्थल माना जाता है. बाबा खाटू श्याम के इसी मंदिर में हर साल फाल्गुन महीने में लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है.
जहां दूर-दूर से लोग बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और यहां पर होलिका दहन के बाद होली का रंग खेला जाता है और बाबा खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के रूप में सजाया जाता है.