श्री कृष्ण जी की कितनी रानियां थी? जानिए...

 
श्री कृष्ण जी की कितनी रानियां थी? जानिए...

श्री कृष्ण जी की 16108 पटरानियां थी, जिनमें से हम सबने. कृष्ण की 8 रानियों नाम सुना है जो निम्न है- रुक्मणी, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रविंदा, सत्य, भद्रा और लक्ष्मणा. महाभारत के अनुसार कृष्ण ने रुक्मणी का हरण करके उनके साथ विवाह रचाया था. श्री कृष्ण जब पांडवों से मिलने इंद्रप्रस्थ पहुंचे तो पांचो पांडव द्रौपदी और कुंती ने उनका स्वागत किया. इस दौरान अर्जुन के साथ भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले. वहां पर सूर्य की पुत्री कालिंदी श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी. कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्री कृष्ण ने उनके साथ विवाह कर लिया. फिर उज्जैनी की राजकुमारी मित्रविंदा के साथ स्वयंवर किया. उसके बाद कौशल के राजा नग्नजीत के 7 बैलों को एक साथ नाथ कर उनकी पुत्री सत्या से पाणिग्रहण किया. उसके बाद कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह किया. भद्र देश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार विवाह के लिए राजी नहीं था. तब लक्ष्मणा को अकेले ही हर कर ले आए.

श्री कृष्ण की 16108 पत्नियां

कृष्णा अपनी आठों पत्नियों के साथ सुख पूर्वक द्वारिका में रह रहे थे. एक दिन देवराज इंद्र ने उनसे प्रार्थना की हे कृष्ण प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. क्रूर भौमासुर ने वरुण का छात्र अदिति के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है और वह त्रिलोक विजयी हो गया है. भौमासुर ने कई राजाओं और आम जनों की कन्याओं का हरण करके बंदी गृह में डाल रखा है. इंद्र की प्रार्थना स्वीकार करके वह अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ प्रागज्योतिषपुर पहुंचे. भौमासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था. इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और घोर युद्ध के बाद सत्यभामा की सहायता से उसका वध कर दिया. इस प्रकार भौमासुर को मारकर श्री कृष्ण ने उसके पुत्र भक्तों को अभयदान देकर, उसे प्रातज्योतिषपुर का राजा बनाया. भौमासूर के द्वारा हरण कर लाई गई 16100 कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर दिया वे सभी भौमासुर के द्वारा पीड़ित, दुखी, अपमानित, लज्जित और कलंकित थी. सामाजिक मान्यताओं के चलते उन्हें कोई अपनाने को तैयार नहीं था. अंत में कृष्ण ने सभी को आश्रय दिया. उन सभी कन्याओं ने कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानते हुए उन्हें पति रूप में स्वीकार किया, लेकिन कृष्ण उन्हें इस तरह नहीं मानते थे. उन सभी को कृष्ण अपने साथ द्वारिकापुरी ले आए. वहां वह सभी का स्वतंत्रता पूर्वक अपनी इच्छा अनुसार द्वारिका में रहती थी. वे सब महल में भजन, कीर्तन आदि करके सुख पूर्वक रह रही थी.

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