जानिए सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित चारधाम का इतिहास

 
जानिए सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित चारधाम का इतिहास

सोलोफोक पहाड़ी नामची सिक्किम प्रदेश में है. इस पहाड़ी पर भारत देश की चारों दिशाओं में स्थित चारधामों की प्रतिकृति को एक साथ एक ही जगह पर बनाया गया है. यहां बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ एवं द्वारिका तथा पूरे भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगो की प्रतिकृतियां बनीं हुईं हैं. पहाड़ी पर स्थित ओस स्थल को सिद्धेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. यहां स्थित भगवान शिव की ऊंची प्रतिमा आकर्षण का प्रमुख केंद्र है.

सोलोफोक पहाड़ी का इतिहास

महाभारत महाकाव्य के एक अध्याय में ज़िक्र आया है कि अर्जुन ने भगवान शिव से पशुपतिअस्त्र प्राप्त करने के लिए शिव जी की कठोर तपस्या की थी. अर्जुन की कठोर तपस्या को देखते हुए भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उन्हें पशुपतिअस्त्र का वरदान प्रदान किया. मान्यता है कि यह घटना सोलोफोक की इन्हीं पहाड़ियों पर घटित हुई थी. धार्मिक पुस्तकों में वर्णन है कि भगवान शिव इस पहाड़ी पर अवतरित होने व उनके द्वारा पशुपतिअस्त्र प्रदान करने के बाद प्रसन्नता पूर्वक यहां चारधामों के परिसर का निर्माण किया गया.

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इस परिसर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठान श्री जगद्गुरु शंकराचार्य, स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा सन् 2011 में किया गया. यह मंदिर इतनी ऊंचाई पर स्थित है कि यहां आने के बाद आप मेघ और भगवान शिव की प्रतिमा का विशेष मेल देख सकते हैं. यह अद्भुत दृश्य आपको मोहित कर देगा.

आपको बता दें कि यहां स्थित शिव जी की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 87 मीटर है. जो कि इस पहाड़ी के शिखर पर स्थित है. मान्यता है कि यहां से शिव पूरे परिसर की निगरानी करते हैं. बताया जाता है कि यह शिव जी की प्रतिमा द्वादश ज्योतिर्लिंगों से घिरी हुई है. यहां पर स्थित सभी शिवलिंगों की प्रतिमूर्ति अपनी मूल जगह के बिल्कुल समान है. इसी वजह से यह मंदिर हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है. और लाखों की संख्याओं में श्रद्धालु इस दुर्लभ स्थान के दर्शन करने आते है.

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