Naag Panchami: नाग देवता को दूध चढ़ाए जाने का रहस्य
नाग देवता को भगवान शिव का बेहद ख़ास माना जाता है. नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. और मान्यता है कि इस दिन नागों को दूध पिलाया जाता है या उसका भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से नाग देव प्रसन्न होते हैं. नाग देव की आराधना करने से सर्पदंश का भय कम रहता है. सावन मास तो वैसे भी भगवान शिव के लिए समर्पित होता है. इस मास में भगवान शिव व उनसे जुड़े सभी देवी देवताओं की आराधना करनी चाहिए. इस दिन नाग देव को दूध पिला कर व उनकी पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
नाग देवता को क्यों लगता है दूध का भोग
जो लोग नाग पंचमी को नागों को दूध पिलाते है व पूरे विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते है. उनके व उनके परिवार के ऊपर से सर्पदंश का संकट कम हो जाता है. ऐसा वर्णन भविष्य पुराण में किया गया है. पुराण में एक और दृष्टांत बताया गया है कि एक बार महाराज जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था. जिसमें नागों का शरीर झुलस गया था. फिर आस्तिक मुनि जी ने नागों पर दूध छिड़ककर उनकी रक्षा की. तभी से नाग पंचमी के इस त्यौहार के अवसर पर नागों को दूध चढ़ाने की प्रथा हो चली. विष्णु जी की शय्या और शिव जी के गले का आभूषण नाग देवता ही हैं. इसलिए इनकी पूजा करने से शिव जी व विष्णु जी दोनों का आशीर्वाद मिलता है.
पूजा विधि
सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्वच्छता पूर्वक स्नान कर. भगवान शिव व उनके गले के आभूषण नाग देव जी का स्मरण करें. और यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो सुबह ही पूरे दिन के व्रत का संकल्प लें. जिसके पश्चात अपने घर के मुख्य द्वार पर नाग देव जी की प्रतिमा का कोई पोस्टर लाकर लगाएं. अपने पूजा घर में शिव जी की प्रतिमा के समक्ष बैठकर पूजा अर्चना करें. क्यों कि शिव जी की प्रतिमा में नाग देव भी अवश्य होंगे. पूजा की थाली विधि विधान से बनाएं. उसमें पुष्प, धूपबत्ती और दूध अवश्य रखें. नाग देव का भोग लगाने के बाद जो दूध प्रसाद के रुप में बचता है. उसका अपने घर के हर कोने में छिड़काव करें. ऐसा करने से नाग देव व शिव जी प्रसन्न होते हैं. और भक्तों पर आशीर्वाद बनाएं रखते हैं.
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