ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ा रहस्य...जानिए

 
ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ा रहस्य...जानिए

ज्वाला देवी मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में सर्वाधिक अनोखा माना जाता है. क्योंकि यहां पर मूर्तियों की पूजा नहीं, बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकली नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है. यह नौ ज्वालाएं अलग-अलग स्थान पर निकलती है. इनमें से सबसे बड़ी ज्वाला, मां ज्वाला की, बाकी 8 ज्वालाओं के रूप में मां अन्नपूर्णा, मां विंधेश्वरी, मां चंडी देवी, महालक्ष्मी, मां हिंगलाज, मां सरस्वती, मां अंबिका देवी व मां अंजनी देवी है. यह 9 ज्वालाएं बिना तेल, घी व बाती की जलती है. इसी वजह से भक्तों को इस मंदिर के प्रति अटूट विश्वास व श्रद्धा है. इस मंदिर को 'जोता वाली का मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है.

ज्वाला देवी मंदिर

हिमाचल प्रदेश की जिला कांगड़ा में ज्वालामुखी मंदिर स्थित है. इस मंदिर की शक्तिपीठ अन्य 51 शक्तिपीठों में से प्रमुख मानी जाती है. इस मंदिर को खोजने का मुख्य श्रेय पांडवों को जाता है. कहा जाता है कि इसी जगह पर मां सती की जीभ गिरी थी. अगर इस मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो मंदिर का निर्माण राजाव भूपचंद्र ने करवाया, बाद में मंदिर का पुनः निर्माण पंजाब के निवासी राजा रंजीत सिंह व संसार चंद ने 1835 ईस्वी में करवाया था. मंदिर में ज्वालाओं के रूप में मां ज्वाला व मां भगवान शिव उन्मत भैरव के रूप में स्थित है.

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मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

-भगवती का ज्वालामुखी मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर का खास चमत्कार यह है कि यहां मूर्तियों की नहीं, बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है. आखिरकार यह ज्वालाएं कहां से निकलती है कैसे निकलती है इस बात का पता आज तक कोई नहीं कर पाया है. अनेक भू-वैज्ञानिकों ने ज्वाला को जड़ से पता लगाने की कोशिश की. मां के ज्वाला मंदिर का यह चमत्कारी रहस्य आज भी बरकरार है.

-अकबर ने मां की ज्योति बुझाने की बहुत कोशिश की. आज भी मां के मंदिर की बाईं ओर अकबर द्वार खुदवाई गई नहर देखने को मिलती है. जब अकबर ने यह चमत्कार देखा तो उसने नतमस्तक होकर मां को सवा मन सोने का छत्र चढ़ाया, लेकिन मां ने अस्वीकार कर दिया. जिससे वह सोने का छत्र किसी अन्य धातु में बदल गया.

-इस मंदिर को लेकर ध्यानु भक्त की कहानी बहुत प्रसिद्ध है. इस कथा के अनुसार ध्यानु मां का बहुत बड़ा भक्त था. उसने अपना शीश मां को चढ़ाया था. मान्यता है कि जो भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से जो भी मांगता है मां उसकी इच्छा पूर्ण जरूर करती है.

-एक बार अकबर के द्वारा ध्यानु की परीक्षा लेने के लिए अकबर ने उसके घोड़े की गर्दन काट दी और कहा कि तुम अपनी मां के भक्त हो तो इसको पुनर्जीवित कर दो. जिसके लिए ध्यानु ने मां के मंदिर में अनेक भक्तों के साथ पूजा-अर्चना और जागरण किया, सच्चे मन से प्रार्थना की. फिर मां ज्वाला की कृपा से ध्यानु का घोड़ा जीवित हो गया.

-इस मंदिर का एक अन्य चमत्कार यह है कि 'गोरख डिब्बी' नामक स्थान मां के मंदिर के पास है. जिसमें एक कुंड में पानी खोलता हुआ प्रतीत होता है लेकिन पानी को छूने से पानी ठंडा लगता है.

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