सौर कैलेंडर क्या है? जानिए मेष संक्रांति से सम्बंध…

 
सौर कैलेंडर क्या है? जानिए मेष संक्रांति से सम्बंध…

सौर कैलेंडर का संबन्ध ज्योतिष शास्त्र से है. मेष संक्रांति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. यदि मेष राशि के जातक सूर्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं. तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होता है. मेष संक्रांति को अलग अलग नाम से उच्चारित किया जाता है। जैसे बंगाल में नबा बर्ष ,पंजाब में वैशाखी, केरल में विशु. मेष संक्रांति के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुवात होती है या कहे सौर कैलेंडर प्रारम्भ होता है. दुनिया भर के देशों में सौर कैलेंडर का अपना नाम है. जैसे तमिल कैलेंडर, मलयालम कैलेंडर और बंगाली कैलेंडर में मेष संक्रांति के पहले दिन को नववर्ष का पहला दिन माना जाता है.

सौर कैलेंडर है क्या:-

सौर कैलेंडर में 12 मास होते हैं. सौर कैलेंडर की शुरुवात मेष संक्रांति से होती है. जब सूर्य का प्रवेश मीन राशि में होता है. तब मीन संक्रांति होती है. वैसे ही जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते है तो उस दिन मेष संक्रांति होती है. सौर मास के 12 नाम इस प्रकार हैं: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, कुंभ, मकर और मीन. इन्हें 12 राशियों के नाम से भी जाना जाता है.

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विशेष महत्व:-

मेष संक्रांति को सभी संक्रांतियों में खास माना गया है. आपको बता दें कि इस वर्ष की मेष संक्रांति 13 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को है. मेष संक्रांति को सूर्य देव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. कहा जाता है कि मेष संक्रांति से ही सूर्यदेव उत्तरायण का आधा सफ़र पूरा करते हैं. स्वच्छता पूर्वक स्नान करने के बाद व्यक्ति को सूर्यदेव जी को तांवे के किसी पात्र में जल लेकर उन्हें अर्घ्य देना चाहिए. और गायत्री मंत्र जाप करना चाहिए. व्यक्ति को इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए, यदि सम्भव हो तो. कहा जाता है कि इस गेहूँ, गुड़ व चांदी की बनी वस्तुओं को ब्राह्मण को दान करने से पुण्य प्राप्त होता है.

सभी को मेष संक्रांति के दिन सूर्यदेव की आराधना करनी चाहिए. उन्हें अर्घ्य देना चाहिए. और उनकी स्तुति करनी चाहिए. इससे आपको यश व कीर्ति की प्राप्ति होगी.

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