विनायक चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? जानिए महत्व
विनायक चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी की आराधना की जाती है. वैसे तो प्रत्येक वर्ष के प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. और गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. क्योंकि भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इसीलिए श्रद्धालु हर माह की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा करते हैं. और उपवास रखते हैं. गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय हैं. इसलिए उनको मोदक यानी लड्डू का भोग लगाना चाहिए. भक्त पूरे विधि विधान से गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं. और सुख, सौभाग्य, ज्ञान व समृद्धि का वरदान मांगते हैं. आपको बता दें कि प्रत्येक मास में शुक्ल पक्ष के बाद आने वाली अमावस्या की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी कहलाती है.
विनायक चतुर्थी का महत्व व पूजा विधि
विनायक चतुर्थी का सनातन धर्म में एक विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि माता पार्वती ने एक मिट्टी का पुतला बनाकर उसमें जान डाली. और मूर्ती में प्राण आते ही उसने पहला शब्द मां कहा. और माता पार्वती को पुत्र मिल गया. इसलिए चतुर्थी को पूजन करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करने से वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. गणेश जी को ज्ञान व समृद्धि का देवता भी कहा जाता है. तो वृद्ध हो या बच्चे सभी को इस दिन उपवास रखना चाहिए. किन्तु भगवान गणेश की आराधना करते वक्त हमें पूजा विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
पूजा की थाली में चन्दन, पंचामृत, पुष्प, दूर्वा घास, धूपबत्ती या अगरबत्ती और कुमकुम होना चाहिए. कहा जाता है कि यदि भक्तजन इन सभी पूजा की सामग्रियों के साथ विधि विधान से पूजा करते हैं तो गणेश जी अवश्य प्रसन्न होते हैं. और भक्तजनों के विघ्न हरते हैं क्योंकि गणेश जी का एक नाम विघ्नहर्ता भी है.
आप सभी से अनुरोध है कि विनायक चतुर्थी पर उपसव रखकर. विघ्नहर्ता श्री गणेश ही कि उपासना अवश्य करें.
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