जानें गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना कैसे करें?

 
जानें गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना कैसे करें?

गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले सभी प्रमुख त्योहार में से एक है. यह पर्व प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. एक माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. विनायक चतुर्थी माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है.

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इन्हें ज्ञान बुद्धि और धर्म का मान्यवर देवता माना जाता है. गणेश की उपासना करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं. कहा जाता है कि गणेश जी अपनी मां पार्वती बहुत प्रिय थे. इनका जन्म माता पार्वती ने अपने शरीर पर लगी लेप के द्वारा किया था. उसी दिन से गणेश चतुर्थी मनाई जाने लगी.

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विनायक चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है. दिन बुधवार को भी इनकी पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी की तिथि भगवान को अति प्रिय है. इस दिन जो श्रद्धा से भगवान का व्रत एवं पूजन करता है. उसके सभी बिगड़े काम पूर्ण होते हैं. सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान गणेश को बुद्धि और सिद्धि का देवता माना जाता है. इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा गया है.

पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से घर में धन, दौलत, सुख, समृद्धि किसी की कमी नहीं रहती. आइए जानते हैं कि इनकी पूजा उपासना कैसे करें:-

-ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. साफ-सुथरे लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
-उसके बाद व्रत का संकल्प ले.
-ताबें, सोनी या मिट्टी से बने गणेश भगवान की प्रतिमा की पूजा करें. घर पर भी गोबर से गणेश भगवान की मूर्ति बना सकते हैं.
-फिर भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं. और दूर्वा जरुर चढ़ाएं
-अब धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर भगवान की पूजा करें. और मंत्रों का जाप करें.
-गणपति भगवान की व्रत कथा सुनें, फिर आरती करें.
-बाद में भगवान को 11 या 21 लड्डू का भोग अवश्य लगाएं.

गणेश चतुर्थी के दौरान याद रखने योग्य बातें

-गणेश चतुर्थी की पूजा दोपहर या शाम के समय ही करें.
-यदि संभव हो तो मुहूर्त के अनुसार ही पूजन करें.
-इस दिन चंद्रमा की पूजा भी की जाती है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से मिथ्या कलंक लग जाता है. इसीलिए इस दिन चंद्रमा को बिना देखे अर्ध देना चाहिए.

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