शिवलिंग.. की उत्पत्ति कैसे हुई, जानिए गूढ़ रहस्य

 
शिवलिंग.. की उत्पत्ति कैसे हुई, जानिए गूढ़ रहस्य

शिवलिंग.. को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता हैं. श्रद्धालुयों द्वारा शिवलिंग की बड़ी श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. पौराणिक कथाओं की मानें तो ब्रह्मांण्ड में सृष्टि बनने से पूर्व पृथ्वी अंतहीन शक्ति थी. सृष्टि की रचना होने के लिए भगवान विष्णु ने जन्म लिया व विष्णु जी की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ. पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद कई वर्षों बाद तक इन दोनों में आपस में लड़ाई होती रही. क्यों कि दोनों ही दूसरे को एक दूसरे से ज्यादा वीर व शक्तिशाली समझते थे. तभी अचानक से आकाश में एक चमचमाता हुआ पत्थर दिखा और आकाशवाणी हुई कि तुम दोनों में से जो भी कोई इसका अंत ढूंढ लेगा वही सर्वशक्तिमान होगा. उसी पत्थर को शिवलिंग का नाम दिया गया. और आज हम सब उसकी पूजा करते हैं.

शिवलिंग का रहस्य

आकाशवाणी के मुताबिक दोनों ही ब्रह्मा व विष्णु उस पत्थर का अंत ढूंढने लगें. ब्रह्मा जी आकाश की ओर चले गए. और विष्णु जी पाताल की ओर. हज़ारो वर्ष तक दोनों ही देव उस पत्थर का अंत तलाश करते रहे. किंतु किसी को इसका ओर-छोर पता नहीं चला. तब भगवान विष्णु ने हार मानते हुए कहा कि मुझे क्षमा करें. मैं इसका अंत नहीं ढूंढ पाया. लेकिन ब्रह्मा जी ने चतुराई दिखाते हुए कहा कि मैंने ढूंढ लिया है ताकि उन्हें सर्वशक्तिमान घोषित कर दिया जाए. तभी एक बार पुनः आकाशवाणी हुई कि मैं शिवलिंग हूँ.

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मेरी ना तो कोई शुरुआत है और ना ही कोई अंत. और भवगान शिव ने उस शिवलिंग से प्रकट होकर. भगवान विष्णु को सच बोलने के परिणामस्वरूप वरदान दिया तो वहीं ब्रह्मा जी को झूठ बोलने के लिए श्राप दिया कि कोई भी उनकी पूजा नहीं करेगा. किन्तु बाद में ब्रह्मा जी ने कठोर तपस्या कर श्राप से मुक्ति पाई. ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता और विष्णु जी रक्षक कहा जाता है व यह भी कहा जाता है कि सृष्टि का संतुलन बनाए रखने के लिए शिवलिंग की उत्तपत्ति हुई.

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