Lord Ganesha: क्यों सर्वप्रथम पूजनीय हैं भगवान गणेश जी? ग्रंथों के अनुसार जानें कारण

Lord Ganesha: गणेश जी बुद्धि के देवता हैं. किसी भी मांगलिक कार्य से पहले गणेश जी का पूजन अनिवार्य होता है. क्योंकि किसी भी काम को प्रारंभ करने के लिए हमें बेहतर योजना, दूरदर्शी फैसले और कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है और गणेश जी (Lord Ganesha) से अच्छा नेतृत्व कोई और नहीं कर सकता. इसलिए गणेश जी को प्रथम पूज्य भी कहा जाता है.
माना जाता है की भगवान शिव ने गणेश जी को सबसे पहले पूजे जाने का वरदान दिया. वैसे ग्रंथों में गणेश जिनको पहले पूजे जाने के कारण अलग अलग हैं. तो आइए आज ग्रंथों के अनुसार आपको बताते हैं कि गणेश जी प्रथम पूजनीय क्यों हैं?
महर्षि पाणिनि के अनुसार
बात महर्षि पाणिनि की करें तो दिशाओं के स्वामी अष्टवसुओं के समूह को गण कहा जाता है. और इनके स्वामी गणेश जी हैं. इसलिए गणेश जी को गणपति भी कहा जाता है. माना जाता है कि गणेश जी से पहले किसी भी मांगलिक कामों में किसी भी दिशा से देवी देवताओं का आगमन नहीं होता इसलिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि देवी-देवताओं का आगमन हो.
शिव महापुराण के अनुसार
शिव महापुराण की के अनुसार जब भगवान शिव और गणेशजी के बीच युद्ध हुआ और गणेशजी (Lord Ganesha) का सिर कट गया तो देवी पार्वती जी के क्रोध को शांत करने के लिए शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया. तब पार्वती जी ने भगवान शिव से कहा कि इस रूप में मेरे पुत्र का पूजन कौन करेगा?
तब शिवजी ने वरदान दिया कि सभी देवी-देवताओं की पूजा और हर मांगलिक काम से पहले गणेश की पूजा की जाएगी. गणेश जी के बिना हर पूजा और काम अधूरा माना जाएगा.
लिंग पुराण के अनुसार
लिंग पुराण के अनुसार जब राक्षसों के पाप बढ़ने लगे और देवताओं के लिए संकट पैदा होने लगे तब देवताओं ने भगवान शिवजी से राक्षसों के काम में विघ्न उत्पन्न करने के लिए वरदान माँगा. शिवजी देवताओं को वरदान दिया और उसके बाद समय आने पर गणेश जी प्रकट हुए. देवताओं में गणेश जी की पूजा की.
उसके बाद शिवजी ने गणेश जी को राक्षसों के कार्यों में विघ्न पैदा करने का आदेश दिया. तबसे आज तक किसी भी मांगलिक कार्य में विघ्न दूर करने के लिये सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है.
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