Lord Ram and Krishna facts: जानिए प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण के बीच सामान्य अंतरों के बारे में, और उनसे जुड़े रोचक तथ्य...
इस धरती पर समय-समय पर धर्म की स्थापना और संसार को एक नई दिशा दिखाने के लिए भगवान विष्णु ने कई बार अवतार लिया है. विष्णु जी ने कभी राम तो कभी कृष्ण बन इस संसार को कष्टों से तारा है, मगर क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु के दोनों ही अवतारों में कई प्रकार के अंतर देखने को मिलते हैं.
आईए आज के इस लेख में इन्ही अंतरों को जानते है
पहला अंतर यही है कि प्रभु श्री राम का अवतरण त्रेता युग में हुआ थ, तो वहीं श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. श्री राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के घर महल में हुआ था और श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में माता देवकी की कोख से हुआ था.
श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता और नंदबाबा के द्वारा किया गया था, जबकि प्रभु श्री राम को माता कौशल्या और राजा दशरथ ने पाला था.
यदि बात करें श्री राम और श्री कृष्ण में कलाओं की तो कहते हैं कि भगवान राम 12 और श्री कृष्ण 16 कलाओं में दक्ष थे. श्रीकृष्ण में जो अतिरिक्त कलाएं थीं वह उस युग के मान से जरूरी थीं.
भगवान श्री राम को संसार मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजता है. तो वहीं श्री कृष्ण समय अनुसार अपने व्यक्तित्व को प्रस्तुत करते है. प्रभु श्री राम का जीवन आदर्श है तो वहीं श्री कृष्ण का जीवन उत्सव है.
पुत्र के रूप में वनवास, भाई के रूप में पादुका त्याग और पति के रूप में सीता-वियोग. राम के दुःखों का न ओर, न छोर. लेकिन फिर भी वह मर्यादा को नहीं त्यागते हैं. सत्य के पथ पर अटल रहते हैं. राम अपने हर रूप में धर्मार्थ किसी न किसी सुख की बलि देते जाते हैं. वही शस्त्रधारी राम युद्ध-क्षेत्र में हर खोया सुख और पूर्ण सम्मान जीतने में समर्थ हैं.
कृष्ण बेहद राजनैतिक अवतार हैं, वो कभी जरासंध के भय से युद्ध छोड़कर भाग जाते हैं और रणछोड़ कहलाते हैं. अर्थात वे परिस्थिति खराब होने पर मैदान को छोड़ना भी बुरा नहीं मानते. वे समय और परिस्थितियों के अनुसार ही अपना कार्य करते हैं. यही एक राजनेता की सबसे बड़ी पहचान होती है. दूसरी ओर राम कोई राजनेता नहीं है. इसलिए उनके लिए समाज की मर्यादा और धर्म सम्मत आचरण ही सर्वोपरि है.
अब अगर हम श्री राम और श्री कृष्ण के दांपत्य जीवन की बात करें तो श्री राम की पत्नी है सीता जी और श्री कृष्ण की पत्नियां है रुकमणी, सत्यभामा, जामवंती, कालिंदी, इत्यादि. श्री राम ने जिससे प्रेम किया उसी से विवाह किया था मगर श्री कृष्ण ने प्रेम तो राधा से किया था मगर विवाह उनसे नही किया था.
वही श्री राम का नाम उनकी पत्नी सीता के साथ लिया जाता है और कृष्ण का नाम उनकी प्रेमिका राधा के साथ लिया जाता है. श्री राम ने अपने दांपत्य जीवन में पत्नी वियोग देखा था किंतु श्री कृष्ण के साथ ऐसा कुछ नही हुआ था.
राम का जीवन बचपन से ही वन में वनवासी, ऋषि, आदिवासियों के बीच ही रहकर धर्म-कर्म के कार्यों के केंद्र में रहा. उन्होंने ऋषियों की रक्षार्थ असुरों का वध किया और वनवासियों को शिक्षित और संगठित किया. दूसरी ओर कृष्ण का सामना बचपन से ही राजाओं से होता रहा और वे राजनीति के केंद्र में रहे. राम महलों में पैदा हूए, पले और बाद में वनवास किया. कृष्ण बाद में महलों में गए, पैदा जेल में, पले गोकुल में. बंदीगृह में जन्में कृष्ण को शैशव में ही दांव-पेंच की विभीषिकाओं से जूझना पड़ता है. राम ने तो तपसी, वनवासी और उदासी का जीवन जी कर ही धर्म की रक्षा प्रारंभ की थी.
भगवान राम ने एक एक करके वन में और अन्य जगहों के पापी, असुरों का समय समय पर वध दिया. लेकिन कृष्ण ने सभी को एक जगह एकत्रित करके निपटा दिया. कृष्ण ने कंस का वध किया था तो वहीं राम ने दुष्ट रावण मारे. दोनों अधिन दुखहर्ता, दोनों बल के धाम.
इनके अलावा भी कई अन्य अंतर है भगवान रामनौर कृष्ण के बीच जैसे युद्ध नीति और जीवन चरित्र इत्यादि.
इन्ही अंतरों के माध्यम से हम इस बात को स्पष्ट कर सकते है कि समय के साथ बदलना चाहिए और कभी कभी जरूरत पढ़ने पर चीजों को अपने अनुकूल रखना चाहिए.
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