Lord Shiva marriage : भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की अद्भुत कहानी, जानिए कैसे हुआ इनका मिलन...
भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है. आज के इस लेख में हम शिव पार्वती के इस विवाह की कहानी आपको बताएंगे.
पौराणिक कहानियों और शिवपुराण में भगवान शिव और मां गौरा के विवाह का वर्णन किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मां गौरा और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था. हिंदू धर्म में इस दिन को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है. साथ ही इस दिन से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं जिनके अनुसार इस दिन शिवलिंग का प्राक्ट्य हुआ था.
इसी वजह से महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जिस भी शादीशुदा जोड़े बीच परेशानियां बढ़ रही हो उन्हें व्रत करना चाहिए और माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन जिस भी भक्त को अपने विवाह के अड़चन पड़ती दिख रही हो वह भी भगवान शिव और मां गौरा की पूजा कर अपने विवाह की अड़चनों को दूर कर सकता है.
चलिए अब जानते है की किस प्रकार माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था
शिवपुराण के अनुसार माता गौरा ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. भगवान शिवने माता गौरा की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए, जिसपर भगवान शिव ने मां गौरा को एक वरदान मांगने को कहा. इसी वरदान स्वरूप माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह का प्रस्ताव रखा जिस पर भगवान शिव ने उन्हें किसी राजकुमार से विवाह करने को कहा था.
मां गौरा भगवान शिव के साथ विवाह के समय डर गई थी. इसके पीछे का एक कारण आज हम आपको बताते है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक समस्त देवताओं ने देवी पार्वती की तरफ़ से विवाह का प्रस्ताव लेकर कन्दर्प को भगवान शिव के पास भेजा, जिसे शिव जी द्वारा ठुकरा दिया गया. इतना ही नहीं बल्कि क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख से उसे भस्म कर दिया.
परंतु देवी पार्वती ने तो भोलेनाथ को अपना पति मान ही लिया था. इसीलिए उन्होंने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या शुरू की. उनकी कठोर तपस्या को देखकर सभी जगह हाहाकार मच गया. तब शिव शंकर ने अपनी आंखें खोलीं और देवी पार्वती से कहा कि वो किसी राजकुमार से शादी कर लें, क्योंकि उनके साथ रहना सरल नहीं हैं.
किंतु देवी पार्वती ने उन्हें कहा कि अगर वो विवाह करेंगी तो सिर्फ़ आप से. देवी पार्वती का अपने लिए असीम प्रेम देख भोलेनाथ उनसे विवाह करने के लिए तैयार हो गए. क्योंकि शिव जी देवताओं के साथ-साथ दानवों के भी इष्ट मानें जाते हैं इसलिए जब भगवान शंकर जब पार्वती से विवाह करने गए तब उनके साथ समस्त भूत-प्रेत तथा आत्माएं भी थीं.
शिव की इस अनोखी बारात को देखकर सभी देवता हैरान हो गए. बल्कि मां पार्वती भी भोलेनाथ की बारात देखकर डर गईं. शिव जी के इस विचित्र रूप को देखकर देवी पार्वती की मां उन्हें स्वीकार नहीं कर पाईं और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ उनके हाथ में देने से मना कर दिया.
इस स्थिति को बिगड़ता देख माता गौरा ने भगवान शिव से निवेदन किया कि वह उनके परिवार के रीति रिवाजों के अनुसार ही अपनी भेष भूषा को बदलकर आए.
देवी पार्वती के इस आग्रह को भगवान शिव ने स्वीकार कर लिया और उसके बाद उन्होंने बारात में संकलित हुए सभी देवताओं से उन्हें रीति रिवाजों के अनुसार तैयार करने को बोला और वह उन्हीं के अनुसार तैयार होकर आए जिसके बाद माता गौरा ने उन्हें स्वीकार कर लिया था.
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