बृहस्पतिवार व्रत: भगवान विष्णु की व्रत विधि, कथा और महत्व

 
बृहस्पतिवार व्रत: भगवान विष्णु की व्रत विधि, कथा और महत्व

बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. इस दिन केले के वृक्ष की पूजा का प्रचलन है. इस दिन व्रत रखने वालों के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. अविवाहित कन्याएं अपने विवाह में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए यह व्रत करती हैं. माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति 1 साल तक व्रत रखता है. तो उसके घर में धन दौलत की कमी नहीं रहती. इस व्रत में प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

विधि एवं महत्व

भगवान विष्णु के किसी भी रूप का स्मरण मात्र करने से ही समस्त मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं. उन्हें जगत का पालनहार माना जाता है. भगवान विष्णु की उपासना से सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है.

-सुबह स्नान के बाद उनके समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाकर 'ओम नमो नारायणाय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी हैं.
-पूजन के समय पीले वस्त्र धारण करना और भगवान विष्णु को पीले फूल व पीले खाद्य पदार्थ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए.
-इस दिन निराहार केले की जड़ में जल से अर्द्ध देना चाहिए. और अर्ध देने के लिए एक तांबे के लोटे में जल, हल्दी, मुनक्का, चने की दाल डालकर केले की जड़ पर चढ़ाना चाहिए.
-घर के मंदिर और केले के पेड़ के पास दीपक जलाकर पूजन करें.
-चना गुड़ का प्रसाद रखें. भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है. इसीलिए भोग में तुलसी की पत्ती जरूर रखें.
-इसके बाद कथा सुनें और दूसरों को सुनाएं. फिर आरती करके, भोग लगाना चाहिए.
-इसके बाद हल्दी से गौ माता का पूजन करें, और चना गुड़ खिलाएं.
-व्रत में व्रती को एक समय पीली वस्तुओं से निर्मित पदार्थों भोजन कर सकता है.
-भोजन शुद्ध शाकाहारी व बिना नमक का करें.

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बृहस्पतिवार की कथा

प्राचीन काल की बात है कि एक राज्य में बड़ा दयालु राजा और उसकी कंजूस, आलसी पत्नी का राज्य था. एक दिन राजा शिकार खेलने गया. उसी समय एक साधु आए. रानी ने साधु से कहा हे महाराज कुछ ऐसा बताओ जिससे यह सब धन नष्ट हो जाए. साधु ने बहुत समझाया लेकिन वह नहीं समझी. तो साधु ने कहा घर को लीप कर, अपने बालों को धोना, मांस मदिरा आदि का सेवन करना. इस प्रकार करने से आपका समय नष्ट हो जाएगा. रानी ने सब कार्य उसी प्रकार किए. जिससे सारी धन संपत्ति नष्ट हो गई. इसी परेशानी को देख कर, राजा परदेस में जाकर कार्य करने लगा. एक दिन रानी और दासी को 7 दिन बिना भोजन के हो गए. तब उसने अपनी बहन को यह परेशानी बताई.

रानी की बहन उसे गुरुवार की कथा सुनाने लगी. और व्रत का तरीका बताने लगी. जिसे सुनकर रानी और दासी दोनों ने व्रत करने का निश्चय किया. जिसे करने से दोनों के साथ काफी धन हो गया. और वे दोनों हर बृहस्पतिवार का व्रत करने लगी. रानी दान पुण्य करने लगी. जिससे उसका काफी यश फैलने लगा. कुछ दिनों बाद राजा भी घर आ गया. और 9 महीने बाद रानी को पुत्र प्राप्त हुआ. जिससे राजा रानी अपने पुत्र और दासी के साथ सुख पूर्वक अपने महल में रहने लगे. इसी प्रकार प्रत्येक जातक को कथा सुनकर, प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. जिससे सारे सुखों की प्राप्ति संभव होती है.

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