Maharaj shani: शनिदेव की बुरी दृष्टि से नहीं बच पाए थे स्वयं महादेव, जानें फिर क्या हुआ?

 
Maharaj shani: शनिदेव की बुरी दृष्टि से नहीं बच पाए थे स्वयं महादेव, जानें फिर क्या हुआ?

Maharaj shani: ऐसा माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति के ऊपर शनि की बुरी दृष्टि पड़ जाए, उस व्यक्ति का अहित निश्चित होता है. हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. इस प्रकार जो भी व्यक्ति शनिदेव के विपरीत कोई व्यवहार या कर्म करता है, तब शनिदेव उस व्यक्ति को अवश्य ही दंड देते हैं. यही कारण है कि शनिवार के दिन प्रत्येक व्यक्ति शनिदेव का आशीर्वाद और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ शनिदेव की आराधना करता है.

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आपको उन कार्यों को करने से बचना चाहिए, जो शनिदेव को बिल्कुल पसंद नहीं है, अन्यथा शनिदेव आप पर अपनी कुदृष्टि जरूर डालते हैं. एक ऐसी पौराणिक मान्यता के अनुसार, शनि देव (Maharaj shani) ने भगवान शिव पर भी अपनी खराब दृष्टि डाली थी. जिसकी वजह से शिव जी को भी काफी कुछ संघर्ष करना पड़ा था. हमारे आज के इस लेख में हम उसी पौराणिक कथा के बारे में आपको बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…

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शिव और शनि की कथा (Maharaj shani)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार जब शनिदेव शिव जी के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे. तब शनिदेव ने शिवजी से कहा कि वह जल्द ही वक्री होकर शिवजी की राशि पर प्रभाव डालने वाले हैं. हालांकि भगवान शिव जन्म-मृत्यु और कुंडली व ज्योतिष से परे हैं, लेकिन मानव जाति के हित के लिए और भगवान शनि के प्रति लोगों की श्रद्धा को जागृत करते हुए भगवान शिव भी शनि की बुरी दृष्टि से नहीं बच पाए.

भगवान शिव ने शनि (Maharaj shani) से पूछा कि वह कब और कितने बजे वक्री होने वाले हैं? भगवान शनि ने भगवान शिव को विस्तार से इस बारे में बताया. जिसके बाद भगवान शिव ने धरती पर आकर हाथी का रूप धारण किया, और वह धरती लोक में छुप गए. इसके बाद जब शनिदेव की वक्री दृष्टि का प्रभाव कम हुआ, तब भगवान शिव वापस कैलाश पर्वत आ गए, जहां पर भगवान शनि मौजूद थे.

उन्होंने शनि देव से कहा कि मैं तुम्हारी बुरी दृष्टि के प्रभाव से बच गया. जिसके बाद शनिदेव ने कहा कि हे महादेव! आप मेरी ही क्रूर दृष्टि की वजह से पशु योनि में गए थे. इसके बाद भगवान शिव ने समाज के संदेश दिया कि शनि की वक्री दृष्टि किसी को भी प्रभावित कर सकती हैं. ऐसे में शनि देव (Maharaj shani) को प्रसन्न करना और अच्छे कर्म करना बेहद आवश्यक है.

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