Mahashivratri 2022: नवग्रहों को मिलेगी शांति, महाशिवरात्रि पर करें इस कवच का पाठ
Mahashivratri 2022: शिवजी के पूजन का प्रमुख दिन महाशिवरात्रि को अब बस कुछ ही दिन शेष हैं. चूंकि भगवान शिव समस्त ग्रहों, तंत्रों मंत्रों व ज्योतिष आदि के देव है, इसलिए महाशिवरात्रि का दिन नवग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए उचित माना जाता है.
यह है नवग्रह पूजन का विधान
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी प्रकार का ग्रह दोष उत्पन्न होता है, तो महाशिवरात्रि के दिन पूजन से उसकी सभी पीड़ाएं दूर होती है. इस दिन नवग्रहों के पूजन के लिए मध्यरात्रि में नवग्रह कवच के 21 पाठ करने चाहिए. इससे नवग्रहों में शांति बनी रहती है. यह नवग्रह कवच यामल तंत्र में वर्णित है. इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने के लिए आगे आपको कवच का पाठ बताया जा रहा है.
कवच का पाठ
ऊं शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:
मुखमंगारक: पातु कण्ठं च शशिनंदन:
बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनंदन:
जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनंदन:
पादौ केतु सदा पातु वारा: सर्वागमेव च
तिथयौष्टौ दिश: पातु नक्षत्राणि वपु: सदा
अंसौ राशि सदा पातु योग्श्च स्थैर्यमेव च
सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्
रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्
श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते
पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते
मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्
जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:
एतां रक्षां पठेद् यस्तु अंग स्पृष्टवापि वा पठेत्
इति श्री नवग्रह कवचं संपूर्णम्।।
महाशिवरात्रि के दिन सभी ग्रह अपना शुभ प्रभाव धरती पर दिखाते हैं. इस दिन शिवजी के पूजन के साथ ही नवग्रहों का पूजन भी किया जाता है. नवग्रहों के पूजन से व्यक्ति की कुंडली में स्थापित ग्रह दोष दूर होने की संभावना बढ़ जाती है.