Mahashivratri 2022: शिव पूजन के दौरान कीजिए इन मुद्राओं का प्रयोग, होगी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति
Mahashivratri 2022: त्रिशूलधारी स्वामी भोलेनाथ की महिमा निराली है. जो भी महाशिवरात्रि पर शिवजी की सच्चे मन से आराधना करते हैं, भगवान भोलेनाथ उनके हर संकट को क्षणभर में दूर कर देते हैं. समस्त देवी देवता भी भगवान शिवजी की उपासना करते हैं.
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, देवी देवताओं के पूजन में मुद्राओं का प्रयोग करना बताया गया है. जब पूजन में मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है तो पूजन की विधि की महत्ता बढ़ जाती है. इसी प्रकार शिवजी की उपासना करते समय भी आप इन मुख्य मुद्राओं का प्रयोग करके अपनी पूजा सफल बना सकते हैं.
आइए जानते हैं, शिव पूजा से जुड़ी 10 साधना शिव मुद्राएं
हृदय मुद्रा
दोनों हाथों की मुट्ठियों को बंद करके अंगूठे को बाहर निकालकर उन्हें मिलाते हुए हृदय से स्पर्श करें.
शिखा मुद्रा
तर्जनी व कनिष्ठ अंगुली को अलग रखकर मुट्ठी बंद करके शिखा से स्पर्श करें. इस शिखा मुद्रा के द्वारा समस्त विघ्नों का नाश होता है.
कवच मुद्रा
अंगूठे के अगले पर्व को मिलाकर तर्जनी अंगुली को त्रिभुज आकार देते हुए सिर से हृदय तक लाने से कवच मुद्रा बनती है.
नेत्र मुद्रा
अपने हाथों को नेत्रों के पास ले जाकर कनिष्ठिका अंगूठे से समाविष्ट करें. इसके बाद मध्य की अंगुली को सीधा रखते हुए शेष अंगुलियों को नीचे की ओर झुका दें, नेत्र मुद्रा बन जाएगी.
अस्त्र मुद्रा
दोनों हाथों की हथेलियों से ताली बजाने से अस्त्र मुद्रा बनती है.
त्रिशूल मुद्रा
हाथों के अंगुठो के साथ दोनों कनिष्ठिका को मिलाकर शेष अंगुलियों को सीधा रखने से त्रिशूल मुद्रा तैयार होती है.
अक्षमाला मुद्रा
हाथ की दोनों तर्जनी अंगुली और अंगूठे के अग्रभाग को मिलाकर अक्षमाला मुद्रा तैयार होती है.
मृग मुद्रा
अनामिका तथा अंगूठे को मिलाकर उस पर मध्यम अंगुली की स्थापना करके शेष अंगुलियों को सीधा रखें, मृग मुद्रा तैयार हो जाएगी.
अभय मुद्रा
आपके बाएं हाथ को ऊपर की ओर करके हथेली को खुला छोड़ दें, अभय मुद्रा तैयार हो जाती है.
इस प्रकार, आप महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव पूजन के दौरान निम्न मुद्राओं का उपयोग करके लाभ कमा सकते हैं.