सनातन धर्म एकमात्र ऐसा धर्म हैं जो जीवन-जीने की शैली हैं। अनेको त्योहारों में एक त्योहार मकर संक्रांति भी सनातन धर्म के मनाने वाले लोग खूब हर्षोंउल्लास से मनाते हैं।हिंदू त्योहारों में ग्रहों का महत्व अधिक होता हैं,वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने की वजह से मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के लोग गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व मानते हैं।
मकर संक्रांति का एक और नाम भी है खिचड़ी एवम् कुछ लोग सक्रात भी कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन गुड़, घी, नमक और तिल के अलावा काली उड़द की दाल और चावल को दान करने का विशेष महत्व हैं तथा इसे शुभ माना जाता हैं। लोग अपने-अपने घरो में भी इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है और इसी को खाते हैं। इसके अलावा लोग प्रसाद के रूप में भी खिचड़ी बांटते हैं। इस कारण तमाम जगहों पर इस त्योहार को भी खिचड़ी के नाम से जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पर्व का नाम खिचड़ी क्यों रखा गया और इसको खिचड़ी नाम किसने दिया।
तो चलिए जानते हैं इस परंपरा की शुरुआत किसने की?
ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा “बाबा गोरखनाथ” के समय से शुरू हुई थी। बड़े बुजुर्गो और इतिहास में बताया जाता हैं कि जब इस्लामिक आक्रांता खिलजी ने आक्रमण किया था, तब नाथ सम्प्रदाय के योगियों को युद्ध के दौरान भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था और वे भूखे ही लड़ाई के लिए निकल जाते थे। ऐसे समय में बाबा गोरखनाथ जी महाराज ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। क्योंकि यह कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाती थी।

इसके साथ ही ये पौष्टिक और ताक़तवर होती थी और साथ ही इससे योगियों का पेट भी भर जाता था।बेहद कम समय में तैयार होने वाले इस पौष्टिक व्यंजन का नाम भी महाऋषि बाबा श्री गोरखनाथ जी महाराज ने खिचड़ी रखा। इस्लामिक आक्रांता खिलजी से मुक्त होने के उपरांत मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया। उस दिन इसी खिचड़ी का वितरण किया गया।
तब से सनातन धर्म को मानने वाले लोग मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू होने की ख़ुशी में हर मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोज तैयार करते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर आज भी गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगता हैं और लोगों को प्रसाद के रूप में इसे वितरण किया जाता हैं।
अब आपको खिचड़ी का धार्मिक महत्व बताते हैं ?
लोगों की ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के अवसर पर भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि भगवान के घर उनसे मिलने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल को भगवान शनि से संबंधित बताया गया है। ऐसे में मकर संक्रांति पर उड़द दाल की खिचड़ी का सेवन करने से भगवान सूर्यदेव और भगवान शनिदेव दोनों प्रसन्न होते हैं।
इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र की मानें तो चावल को चंद्रमा का, नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरू का बृहस्पति का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना गया है। वहीं खिचड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से भी जोड़ा जाए। तो ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से सभी कुंडली में लगभग सभी ग्रहों की स्थिति सुधरती हैं जिससे जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती हैं।
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