मेरु रिलीजन स्पॉट या कैलाश पर्वत के रहस्य
मेरु रिलीजन स्पॉट या कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है. यह अद्भुत स्थान बहुत रहस्मयी तथा ख़ूबसूरती का भंडार है. एक बार जो यहां आ जाता है. वह यहां की सुंदरता को देख कर मोह माया भूल जाता है. लेकिन कहा जाता है ना. 'खूबसूरती खतरनाक भी होती है.' बहुत ही दुर्गम रास्ता है यहां का. अगर हम पुराणों की बात करें तो स्कंद पुराण, शिवपुराण, मत्स्य पुराण इत्यादि में इस पर्वत का उल्लेख किया गया है. बल्कि पुराणों में इसके नाम के अलग अध्याय ही लिखे हुए हैं. जिसका नाम कैलाश खंड है.
पौराणिक कथाओं एवं मान्यताओं के अनुसार इस पर्वत के पास में ही धन के राजा कुबेर की नगरी है. मां गंगा यहीं भगवान विष्णु के कर-कमलों से उद्गमित होकर पर्वत की चोटी पर गिरती हैं. और वहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में समाहित कर लेते हैं. जब शिवजी ने अपना जटा का बाल हटाया तो गङ्गा जी की निर्मल धारा का प्रवाह पृथ्वी लोक पर हुआ. बताया जाता है कि यदि गङ्गा नदी सीधे स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आती तो महाप्रलय आ सकती थी.
मेरु रिलीजन स्पॉट के रहस्य
मेरु रिलीजन स्पॉट हिमालय पर्वत व कैलाश की सबसे ऊंची श्रृंखला है. इससे जुड़े और बहुत रहस्य हैं जैसे-
इसे धरती का केंद्र माना जाता है
हम सभी जानते हैं कि धरती के एक ओर उत्तरी व दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है. और इन दोनों के मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है. और हिमालय पर्वत का केंद्र कैलाश पर्वत है. वैज्ञानिकों ने एक शोध में पता लगाया कि यहीं पूरी धरती का केंद्र है. और कैलाश पर्वत को विश्वभर के 4 धर्मो हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म का भी केंद्र माना जाता है.
पिरामिडनुमा संरचना
संपूर्ण कैलाश पर्वत की संरचना एक पिरामिड के समान प्रतीत होती है. यह विशालकाय पर्वत लगभग 100 छोटे छोटे पिरामिडों का समूह कहा जाता है.
सदैव आती है डमरू की आवाज़
जब आप कैलाश पर्वत की ऊंची चोटियों पर जाएंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे किसी एरोप्लेन के गुजरने के आवाज़ आ रही हो. किन्तु यदि आप उस आवाज़ को ध्यान से सुनेंगे तो वह किसी एरोप्लेन की नहीं बल्कि 'ॐ' के उच्चारण और 'डमरू' के बजने की आवाज़ होती है.
व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार तो अवश्य मेरु रिलीजन स्पॉट पर आना चाहिए. और यहां होने वाले अनजाने रहस्यों का अनुभव करना चाहिए.
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