Navratra 2021: मां कात्यायनी का स्वरूप एवं पूजा विधि
मां कात्यायनी की आराधना नवरात्रि के छठे दिन होती है. इनकी आराधना करने से भक्तों को काम, धर्म, अर्थ, मोक्ष इत्यादि की प्राप्ति होती है. व्यक्ति के जीवन से शोक, संताप एवं अन्य कष्ट स्वतः नष्ट हो जाते हैं. जिन व्यक्तियों की शादी नहीं हो रही है या कोई बाधा उत्पन्न हो रही है. तो ऐसे व्यक्तियों को कात्यायनी देवी की उपासना अवश्य करनी चाहिए. इससे उनको लाभ मिलेगा. कहा जाता है कि कात्यायनी देवी की उपासना करने से भगवान बृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं. और व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि सदैव बनी रहती है.
मां कात्यायनी का स्वरूप
कात्यायनी देवी का स्वरूप बेहद आकर्षक है. देवी का रंग स्वर्ण की भांति अत्यंत चमकीला है. देवी कात्यायनी चार भुजाधारी हैं. देवी की दाएं ओर की नीचे वाली भुजा वर मुद्रा में है. तथा ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है. एवं बाईं ओर की नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प और ऊपर वाली भुजा में तलवार लिए हुए हैं. देवी का वाहन सिंह यानी शेर है.
पूजा विधि
देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए. सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें एवं माता का स्मरण कर व्रत रखनें का दृढ़ संकल्प करें. कोशिश करें कि आप पीले या सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करके ही माता की पूजा करें. सर्वप्रथम अपने घर के मंदिर में माता कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें. अगर आप पूरे नवरात्रि व्रत हैं. तो जहां पर अपने नवरात्रि व्रत कलश इत्यादि की स्थापना की है वहीं पर देवी कात्यायनी की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं. ध्यान रहे प्रतिमा स्थापित करने से पहले गंगाजल अवश्य छिड़क लें. माता की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं और आरती करें. माता को फूल अर्पित करें और उनका स्मरण करें. इसके बाद पुनः पीले पुष्प, हल्दी की गांठ एवं शहद अर्पित करें. उसके बाद माता का भोग लगाएं और प्रसाद वितरित कर दें.
मां कात्यायनी का व्रत सभी श्रद्धालुओं को रखना चाहिए. एवं माता का स्मरण करना चाहिए. इससे आपको माता का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
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