Nirjala Ekadashi 2023: कैसे हुई थी निर्जला व्रत की शुरुआत? जानें क्यों है ये व्रत इतना खास

 
Nirjala Ekadashi 2023: कैसे हुई थी निर्जला व्रत की शुरुआत? जानें क्यों है ये व्रत इतना खास

Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला व्रत, महत्वपूर्ण एक व्रत माना जाता है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजा होती. इस व्रत में अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता है . इसलिए इसे "निर्जला" व्रत कहा जाता है. निर्जला एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है.

इस दिन भक्त पूरे दिन भोजन या पानी का सेवन नहीं करते हैं और शिवलिंग की पूजा और अर्चना करते हैं. इस प्रकार, निर्जला व्रत के दौरान भक्त निर्जला पानी का सेवन करके शिव की आराधना करते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं.

निर्जला व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) को आदिपुराण और पुराणों में विस्तार से वर्णित किया गया है. इस व्रत को श्रद्धालुओं को अपार सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मान्यता प्राप्त है.

WhatsApp Group Join Now

सबसे पहले किसने रखा निर्जला व्रत (Nirjala Ekadashi 2023)

मान्यता के अनुसार, निर्जला व्रत को सबसे पहले रखा था पांडवों के पिता राजा पांडु ने. निर्जला व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) को पांडवों के द्वारा महाभारत काल में अपनाया गया था.

इस व्रत में पूरे दिन भोजन और पानी का त्याग करके नियमित रूप से ध्यान, पूजा और तपस्या के माध्यम से आत्म-शुद्धि की जाती है. पांडवों ने इस व्रत को अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए अपनाया था.

इसके अलावा एक और मान्यता है कि निर्जला व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) को सबसे पहले राजा भीष्मदेव ने रखा था. माना जाता है कि भीष्म पितामह ने महाभारत काल में अपने जीवन के आखिरी दिनों में इस व्रत को अपनाया था.

भीष्म देव ने इस व्रत को पूरे अन्न जल का त्याग करके नियमित रूप से पूजा-अर्चना, ध्यान और तपस्या के साथ इस व्रत को रखा था. इसलिए इसे हिंदू धर्म में इस व्रत की बहुत मान्यता है.

ये भी पढ़ें:- भीषण गर्मी में कैसे पूरा करें निर्जला एकादशी का व्रत? जानें व्रत रखने का सही समय…

Tags

Share this story