Nirjala Ekadashi 2023: कैसे मनाएं निर्जला एकादशी व्रत? जानें क्या हैं व्रत के नियम
Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी प्रमुख हिन्दू व्रत है जो हर साल शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस व्रत को निर्जला एकादशी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस व्रत के दौरान भक्त जल नहीं पीते हैं अर्थात् "निर्जल" शब्द का अर्थ होता है ‘बिना जल के’.
हर व्रत के अपने कुछ नियम होते हैं ठीक उसी तरह निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के भी अपने कुछ नियम हैं. क्या हैं वो नियम आइये जानते हैं.
निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) के नियम
1. निर्जला एकादशी व्रत को सच्ची नियमितता के साथ रखना चाहिए. यह व्रत पूरे दिन के लिए रखा जाता है, सूर्यास्त से पहले से लेकर आगामी दिन तक.
2. व्रत करने से पहले एकादशी के दिन राय को व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसमें व्रती व्यक्ति को व्रत के उद्देश्य, महत्व, और नियमों को समझना चाहिए.
3. निर्जला एकादशी के दिन जल की पूर्ति नहीं करनी चाहिए. मतलब खाने-पीने की सभी वस्तुएँ, व्रती को त्याग देनी चाहिए.यह व्रत सबसे अधिक भूख और प्यास सहन करने वाला व्रत माना जाता है.
4. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के दिन व्रती को अन्न और पानी का सेवन नहीं कर सकते हैं. यह मान्यता है कि इस दिन भक्त बिना जल के रहते हुए अपने श्रद्धा और ध्यान को समर्पित करते हैं.
5. निर्जला एकादशी के दिन व्रती को जागरण करना चाहिए. अर्थात् सोना नहीं चाहिए. यह मान्यता है कि जागरण के दौरान भक्तों को भगवान की पूजा, आरती, भजन गाने और सत्संग करने चाहिए.
6. व्रत के दौरान निर्जला एकादशी के व्रती को अन्य सात्विक और फलाहार करना चाहिए. इसमें अदरक, केला, दूध, पनीर, घी, फल, मेवे और शाकाहारी भोजन शामिल हो सकते हैं. व्रती को बहुत ज़्यादा मसालेदार, तेलीय और उत्तेजक आहार नहीं ख़ाना चाहिए.
7. निर्जला एकादशी के दिन भक्तों को भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसके अलावा, ध्यान, मंत्र जाप, विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ और भक्ति भावना में रहना चाहिए. इस तरह पूरी श्रद्धा और सच्ची निष्ठा से निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है.
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