Omkareshwar Mandir: इस ज्योतिर्लिंग में साक्षात विराजते हैं महादेव, जानें शिवरात्रि पर इससे जुड़े रहस्य

 
Omkareshwar Mandir: इस ज्योतिर्लिंग में साक्षात विराजते हैं महादेव, जानें शिवरात्रि पर इससे जुड़े रहस्य

Omkareshwar Mandir: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विशेष पर्व माना जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी यानी कल के दिन मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के अवसर पर जो भी व्यक्ति भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन में अवश्य ही भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. ऐसे में महाशिवरात्रि के उपलक्ष में हम आपको ज्योतिर्लिंग की कड़ी में आज चौथे ज्योतिर्लिंग यानी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्वता के विषय में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े रहस्य के बारे में

1. मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में नर्मदा और कावेरी नदी के बीचो-बीच पहाड़ी पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है. जहां ओम के आकार का शिवलिंग मौजूद है, जिस कारण से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.

2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और माता पार्वती चौसर खेलने के लिए आते हैं, ऐसे में जब ज्योतिर्लिंग में मौजूद पंडित चौसर की बिसात लगाते हैं, तब रात्रि के दौरान ज्योतिर्लिंग के गर्भ गृह को बंद कर दिया जाता है, जहां फिर रात्रि को ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती और भगवान से साक्षात आते हैं, क्योंकि सुबह वहां पासे उल्टे पड़े हुए दिखाई देते हैं.

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3. इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की उपासना ओंकारेश्वर ममलेश्वर के तौर पर की जाती है, जिस कारण ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव रोजाना रात्रि को यहां शयन के लिए आते हैं.

4. आज ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस पर्वत पर स्थित है, उसे मांधता और शिवपुरी पर्वत के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि राजा मांधता की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां शिवलिंग के तौर पर स्वयं को स्थापित किया था.

5. यहां ज्योतिर्लिंग के आसपास धनतेरस के दिन बेहद विधि-विधान से भगवान कुबेर और शिवजी की उपासना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान कुबेर ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. जिसके फल स्वरुप भगवान शिव ने ही भगवान कुबेर को धन का देवता बनाया था.

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इतना ही नहीं कहा जाता है कि भगवान कुबेर के स्नान के लिए भगवान शिव ने इसी जगह पर कावेरी नदी को अपनी जटाओं से उत्पन्न किया था, यही कारण है कि जगह पर नर्मदा और कावेरी नदी का संगम देखने को मिलता है.

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