Onion garlic Rules: सनातन धर्म में प्याज-लहसुन खाने की क्यों है मनादि? ये है प्रमुख वजह
Onion garlic Rules: आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि फलां व्यक्ति प्याज लहसुन नहीं खाता है. जिसके पीछे ये तर्क दिया जाता है कि प्याज लहसुन वे लोग खाते हैं, जो मांसाहार का सेवन करते हैं. हालांकि प्याज लहसुन को आम तौर पर शाकाहारी भी खाते हैं, इसलिए इसे तामसी भोजन की श्रेणी में रखा गया है.
लेकिन कई बार धार्मिक अवसरों या व्रत आदि के दौरान भी लोग प्याज लहसुन खाने से परहेज करते हैं, जिसके पीछे तर्क दिया जाता है कि धार्मिक पूजा-पाठ के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
क्योंकि ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति जो अन्न ग्रहण करता है, उसके मन मस्तिष्क पर वैसा ही प्रभाव पड़ता है. भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में यही संदेश दिया है कि तामसी भोजन खाने से व्यक्ति के मन में उसी प्रकार के भाव आने शुरू हो जाते हैं,
और वह फिर समाज में उसी अनुरूप व्यवहार करता है. यही कारण है कि कई लोग प्याज लहसुन का इस्तेमाल किए बिना भोजन बनाते हैं और उसे ग्रहण करते हैं. इसके अलावा भी कई एक कारण है, जिस वजह से लोग प्याज लहसुन नहीं खाते हैं. तो चलिए जानते हैं…
तामसी भोजन खाने से होता है ये नुकसान
जहां सात्विक भोजन का सेवन करने से आपके भीतर शांति, संयम और पवित्रता जैसे गुणों का विकास होता है. ठीक इसके विपरीत, यदि आप तामसी भोजन का सेवन करते हैं, तो आपके भीतर आलस्य, गुस्सा, अशांति और विकार जन्म लेते हैं.
प्याज और लहसुन जिन्हें राजसिक या तामसी भोजन कहा गया है, इसका नियमित सेवन आपके शरीर में रक्त के प्रभाव को प्रभावित करता है.
दूसरा, प्याज और लहसुन में मौजूद तीव्र गंध और चरपराहट भी आपके मन पर अलग प्रभाव डालती है, यही कारण है कि व्रत का पालन करने वाले, योगी, संत, जैन समाज के लोग प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते हैं,
और ना ही देवी देवताओं को इनसे बना भोग लगाया जाता है. प्याज और लहसुन व्यक्ति की काम इंद्रियों को अनियंत्रित करता है, जिससे व्यक्ति की भोग विलासिता बढ़ती है. इसे खाने से व्यक्ति के मुख से अजीब सी दुर्गंध भी आती है और व्यक्ति की बैचेनी भी बढ़ जाती है.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब राहु ने देवताओं की श्रेणी में शामिल होकर अमृत पान करने की सोची. तब जब चंद्रमा ने राहु को अमृत पान करते हुए देख लिया,
तब भगवान विष्णु ने राहु का सिर काट दिया. जिसके बाद राहु के शरीर से अमृत की कुछ बूंदें टपकी. जिससे ही प्याज का पौधा अस्तित्व में आया.