भारत का सबसे धनी मन्दिर है पद्मनाभ मंदिर
पद्मनाभ मंदिर केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में स्थित है. विश्वविख्यात यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. और जब रहस्यमयी जगहों का ज़िक्र होता है तो इस मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है. बताया जाता है कि इस मंदिर में ऐसे बहुत से रहस्य हैं. जिनका लोग अत्यंत प्रयास करने के बाद भी निष्कर्ष नहीं निकाल पाए हैं. इस मंदिर में एक सातवां दरवाज़ा है जो कि अभी तक सभी लोगों के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है. लोगों का मानना है कि यह दरवाज़ा सिर्फ़ एक ही व्यक्ति खोल सकता है, किन्तु अभी तक वह व्यक्ति मन्दिर तक नहीं आया.
आखिर पता नहीं कब खुलेगा यह दरवाज़ा और कब पता चलेगा कि इसके अंदर क्या है. अनुमान लगाया जाता है कि इस दरवाज़े के अंदर इतना सोना है कि हमारा देश फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है. क्योंकि जो बाकी के तहखाने हैं उनको सुप्रीम कोर्ट की इजाज़त के बाद खोला गया था तो उनमें से लगभग 1 लाख करोड़ रूपए के हीरे व अन्य ज्वेलरी निकली थीं.
पद्मनाभ मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण त्रावणकोर के राजाओं द्वारा 6वीं शताब्दी में कराया गया था. इस बात का ज़िक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी आता है. महाराज मार्तण्ड वर्मा ने सन् 1750 में स्वयं को भगवान यानी पद्मनाभ दास का परम् सेवक बताया था. माना जाता है इसके बाद से त्रावणकोर राजघराने के वंशजों ने अपना पूरा जीवन व सम्पूर्ण सम्पत्ति भगवान को शौप दी थीं. बताया जाता है सन् 1947 तक त्रावणकोर को राजाओं ने इस मंदिर पर राज किया. अभी भी इस मंदिर की देखभाल का कार्य शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट देख रहा है.
बताया जाता है कि त्रावणकोर के राजाओं ने अपना बेशकीमती खजाना मंदिर के तहखाने व दीवारों के पीछे छुपा दिया था. जिसके बाद हज़ारो सालों से किसी की हिम्मत भी नहीं हुई कि वह यह दरवाज़ा खोल कर देखे. यह मंदिर सबसे धनी हिन्दू मंदिरों में से एक है. जिसमें अनमोल हीरे-जवाहरात जड़े हुए हैं.
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