Parshuram Jayanti: कौन थे परशुराम, जिनसे कांपते हैं तीनों लोक के स्वामी...जानें
Parshuram Jayanti: विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती अक्षय तृतीया के दिन मनायी जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार विष्णु के छठे 'आवेश अवतार' भगवान परशुराम का जन्म ५१४२ वि. पू. में सतयुग और त्रेता के संधिकाल के वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के पहले प्रहर प्रदोष काल में हुआ था.
परशुराम जमदग्नि-रेणुका के पुत्र थे, परशुराम के ५ भाई थे, परशुराम के जन्म को लेकर बहुत कथाएं हैं कुछ के अनुसार वर्तमान के बलिया के खैराडीह में परशुराम का जन्म में हुआ था, तो कुछ का मानना है कि मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के मानपुर गाँव के जानापाव पर्वत में परशुराम का जन्म हुआ था. हालाँकि ये भी कहा जाता है की यूपी के शासकीय बलिया गजेटियर में इसका चित्र के साथ विवरण मिलता है…
जानें भगवान परशुराम के बारे में
मान्यता है कि ऐसी श्री परशुराम भगवान चिरंजीवी हैं और कलियुग में भी जीवित देवता हैं इसलिए परशुराम की पूजा नहीं की जाती. परशुराम जी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है ‘परशु’ यानी कुल्हाड़ी और ‘राम’, जिसका शाब्दिक अर्थ है, कुल्हाड़ी के साथ राम. परशुराम जी के गुरु स्वयं महादेव थे.
महाभारत के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था, पर जब शिव ने उन्हें अपना परशु अस्त्र दिया तबसे उनका नाम परशुराम पड़ गया. हिंदू मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी अमर हैं. भगवान शिव से ही परशुराम जी को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था. उनके चिरंजीवी होने का यही कारण है.
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