पितृपक्ष में इन चीजों को नहीं मानते हैं लोग, भ्रम का ना हों शिकार

 
पितृपक्ष में इन चीजों को नहीं मानते हैं लोग, भ्रम का ना हों शिकार

21 सितंबर से शुरू हुआ पितृपक्ष 6 अक्टूबर तक चलेगा। आपको बता दें की 15 दिन चलने वाला ये पितृपक्ष इस बार 16 दिन का है। इस इस चीज को लेकर कई गलतफैमी हैं जिसमे बहुत सी चीजों के रोक होने की बात कही जाती है।
इस पितृपक्ष में नया और मांगलिक काम ने करने की बात कई जा रही है। हालांकि शास्त्रों की गलत व्याख्या करने और लोगों तक गलत सूचना पहुंचने की वजह से लोग पितृपक्ष को लेकर लोग कन्फ्यूज्ड रहे हैं। ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी होता है की क्या पितृपक्ष के दौरान बाजार से नई चीजों को खरीदना या अन्य किसी नए काम की शुरुवात करना प्रतिबंधित है। इन्हीं सब से सवालों का जवाब हमने काशी के विद्वानों से लेने की कोशिश की।

शुभ नहीं बल्कि अशुभ है ये

पितृपक्ष को लेकर जो बात फैली गलतफैमी के संबंध में ज्योतिषाचार्य और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने जानकारी दी। उन्होंने बताया की ज्योतिष शास्त्र या धर्मशास्त्र में पितृपक्ष को शुभ महीने के रूप में जाना जाता है। ये अशुभ महीना नहीं क्योंकि 15 दिन का यह पखवारा पितरों के नाम होते हैं। ये पितर भगवान के समकक्ष माने जाते हैं।

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पितृपक्ष में इन चीजों को नहीं मानते हैं लोग, भ्रम का ना हों शिकार
Image Credits: Pexels

एसा धर्मशाहत्र में कहा गया है की पितरों को कभी नाराज़ नहीं करना चाहिए। पितर खुश होते हैं तो जीवन में खुशियां आतीं हैं। हर तरह के सुख जीवन में आता है। अगर पितर नाराज हो जाएं तो फिर जिंदगी बर्बाद हो जाती है। इसलिए 15 दिन के इस पितृपक्ष में पितरों को खुश करने के लिए ब्राह्मण भोज, तर्पण, श्राद्ध कर्म किया जाता है।

घर में होता है पितरों का वास

पंडित प्रसाद दीक्षित बताते हैं की इस पखवारे में पितरों का निवास घर पर होता है। इसलिए अगर कोई भी वस्तु यदि आप और हम खरीद कर लाते हैं तो उसको देख कर पितर खुश हो जाते हैं। फिर चाहे वह घर की फर्नीचर हो कपड़े या फिर घर का कोई सामान। इस समय सोने और चांदी भी खरीदा जाता है।

शुभ कार्यों पर है रोक

वहीं ज्योतिषाचार्य और काशी विव्दत परिषद के महामंत्री ऋषि बताते हैं की पितृपक्ष को लेकर लोगों के मन में गलतफैमी डाल दी गई है। पितृपक्ष का यह पखवारा बेहद शुभ माना जाता है।
इसलिए इस दौरान किसी भी नई वस्तु की खरीद फरोख्त के साथ ही संपति का क्रय-विक्रय किया जा सकता है। स्वर्ण, रजत या किसी भी तरह की धातु का भी क्रय-विक्रय होता है।
इसकी बड़ी वजह यह है की इस दौरान पितर हमारे घर में मौजूद होते हैं। शोरगुल बैंड बाजा ढोलक या फिर नगाड़े की आवाज उन्हें परेशान करती है।

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