Pitru Dosh: अगर आपकी कुंडली में भी मौजूद है पितृ दोष, तो आपके साथ भी ऐसा होना है लाजमी
Pitru Dosh: मनुष्य के जन्म के बाद, जिस जन्मकुंडली का निर्माण किया जाता है उसमें विभिन्न प्रकार के दोष परिलक्षित होते हैं. जिनका जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में उन दोषों को शांत कराने के लिए समय-समय पर कई उपाय किए जाते हैं. जन्म कुंडली में परिलक्षित होने वाले उन्हीं दोषों में से एक दोष है पितृ दोष.
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जब किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि पूर्वक अंतिम संस्कार ना किया गया हो या किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो गई हो, तो उस व्यक्ति के परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पर तो दोष का दंश झेलना पड़ता है. हालांकि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष का समय पितरों की शांति के लिए मनाया जाता है. इस समय को श्राद्ध पक्ष कहा जाता है.
लेकिन आपको कैसे पता लगेगा कि आपके जीवन में भी पितृ दोष लगा हुआ है? इसके लिए हम आपको पितृ दोष से जुड़े कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनका जीवन पर भयंकर प्रभाव पड़ता है.
कुंडली में पितृ दोष के लक्षण
यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो आपके शरीर में आपके बालों पर सबसे पहले इसका प्रभाव नजर आएगा. आपके पास समय से पहले ही सफेद होना शुरू हो जाएंगे. सिर के बीच के आधे बाल कम होने लगेंगे. इतना ही नहीं आपके जीवन में नाकामी शुरू हो जाएगी. घर का वातावरण हमेशा क्लेश में रहेगा. बीमारियां आपके घर में निवास करेंगी. घर का कोई भी सदस्य आसानी से सफलता हासिल नहीं कर सकेगा.
भयंकर बीमारियां और विवाह ना होना भी है पितृ दोष एक बड़ा लक्षण
यदि आपके घर में कोई ना कोई बीमार रहता है, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके घर में पितृदोष बना हुआ है. इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति के विवाह में देरी हो रही है या अनावश्यक रुकावटें पैदा हो रही हैं तो हो सकता है कि उस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष बना हुआ हो.
परिवार के मान सम्मान को ठेस व घर का रूखापन भी है पितृदोष का लक्षण
पितृ दोष का कारण घर की प्रतिष्ठा में गिरावट आती है. इतना ही नहीं घर के पेड़ पौधे और जानवर भी उचित रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं. घर का वातावरण उदासीनता से भरा हुआ रहता है.
रसोई घर की दीवारों में आ जाती है दरारें
जहां पितृ दोष होता है वहां घर का मुखिया हमेशा बीमार रहता है. ऐसे स्थान पर मेहमान भी असंतुष्ट होकर जाते हैं. घर की रसोई की दीवारों पर बेवजह की दरारे आ जाती हैं. घर के सदस्य को नुकसान होता है.
यह समस्त लक्षण पितृदोष के लक्षण है. इतना ही नहीं जिसकी कुंडली में पितृदोष होता है उसे उपरोक्त समस्याओं से गुजरना पड़ता है. यूं तो पितृदोष शांत करने के विभिन्न उपाय हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष का समय पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना है. इस समय में आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनका विधिवत अंतिम संस्कार या अन्य श्राद्ध तर्पण विधि अपना सकते हैं.