Pitru Paksh 2022: क्या महिलाओं द्वारा किए गए पिंडदान का मिलता है पुण्य, जानिए पितरों के श्राद्ध से जुड़ा ये नियम
Pitru Paksh 2022: हिंदू धर्म में श्राद्ध का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु पिंड दान और तर्पण आदि किया जाता है. हालांकि सामान्य तौर पर परिवार में पुरुषों को श्राद्ध कर्म करने का अधिकार प्राप्त होता है. लेकिन कहीं-कहीं हिंदू धर्म ग्रंथों में महिलाएं भी श्राद्ध कर्म करने की अधिकारी होती हैं.
दरअसल गरुड़ पुराण, धर्मसिंधु ग्रंथ, मनुस्मृति, वायु पुराण और मार्कंडेय पुराण में महिलाओं को तर्पण और पिंडदान करने का अधिकार बताया गया है. मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि यदि परिवार और कुल में कोई पुरुष ना हो तो घर की बहू द्वारा पिंड दान किया जा सकता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार महिलाएं सफेद वस्त्रों में करें पिंडदान
हिंदू धर्म के प्रसिद्ध तथा पौराणिक ग्रंथों द्वारा महिलाओं को भी पिंडदान करने का अधिकार बताया जाता है. लेकिन श्राद्ध करने का अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही होता है. यदि परिवार में युवा महिला से बड़ी कोई विवाहित बुजुर्ग महिला होती है तो श्राद्ध करने का अधिकार सर्वप्रथम विवाहित बुजुर्ग महिला को होगा.
इसके अलावा महिलाओं को श्राद्ध सफेद या पीले वस्त्रों में ही करना चाहिए. इसके अलावा ध्यान रखें कि महिलाओं को कुश और जल के साथ काले तिल से तर्पण नहीं करना चाहिए केवल जल से ही तर्पण करना चाहिए.
ये भी पढ़ें:- इन दिनों धूप जलाने से होते हैं अनेक फायदे, मिलता है पिंडदान के बराबर फल
मार्कंडेय पुराण में बिना मंत्रों के श्राद्ध कर्म
मार्कंडेय पुराण में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी का पुत्र नहीं होता है तो पत्नी अपने पति का बिना मंत्र के साथ श्राद्ध कर्म कर सकती है. इसके अतिरिक्त यदि पत्नी ना हो तो परिवार के अथवा कुल के किसी भी व्यक्ति द्वारा श्राद्ध किया जा सकता है. वहीं बहू द्वारा अपनी सास का पिंडदान भी किया जा सकता है.