Sanjivini Facts: संजीवनी बूटी कहां पायी जाती है? जाने संजीवनी के औषधीय गुण...

संजीवनी बूटी का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग को हनुमान जी और लक्ष्मण जी की याद आती है. त्रेता युग में रामायण के समय जब भगवान श्री राम माता सीता के हरण के बाद लंकापति रावण से युद्ध करने लंका गए थे तब वहां युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को नागपाश में बंध कर मूर्छित कर दिया था. उस समय सुषेण वैध ने संजीवनी बूटी के बारे में प्रभु श्री राम को बताई थी. जिसके बाद हनुमान जी इस बूटी को लेने के लिए लंका से भारत के लिए चल दिए. दरअसल यह बूटी उस समय के अनुसार मात्र भारत में ही मिलती थी क्योंकि उस समय नेपाल भी भारत का ही हिस्सा हुआ करता था.
संजीवनी के औषधीय गुण
आज के इस समय में यह बूटी उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और उड़ीसा सहित भारत के लगभग सभी राज्यों में पाई जाती है. संजीवनी का उल्लेख पुराणों में भी है. आयुर्वेद में इसके औषधीय लाभों के बारे में वर्णन है. यह न सिर्फ पेट के रोगों में बल्कि मानव की लंबाई बढ़ाने में भी सहायक होती है.
संजीवनी एक औषधीय जड़ी-बूटी है. जिसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राह्पटेसिर्स है. इसकी उत्पत्ति आज से लगभग तीस अरब वर्ष पूर्व मानी जाती है. यह वनस्पति चमकदार और विचित्र गंध से युक्त होती है. इस वनस्पति में मानव शरीर की मृत कोशिकाओं को जीवित करने की शक्ति होती है. जिसके कारण हीं इस बूटी को अमर बूटी भी कहते है.
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