Sawan 2022: सावन के पहले सोमवार पर कीजिए भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, घर बैठे दूर होंगे सारे कष्ट…
Sawan 2022: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में मुख्य रूप से भगवान शिव की विशेष अर्चना की जाती है. इस बार सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक रहेगा. इस पूरे महीने भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं. ऐसे में यदि आप भी शिव भगवान के बड़े भक्त हैं, साथ ही सावन के दिनों में शिव जी को प्रसन्न करके मनचाहा आशीर्वाद पाना चाहते हैं.
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इस सावन शिव जी के संपूर्ण भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से भगवान शिव को खुश कर सकते हैं. साथ ही अपने जीवन में आने वाली हर एक विपदा का डटकर सामना भी कर सकते हैं.
यहां कीजिए भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन…
भगवान शिव का सबसे पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ को माना गया है. जो कि गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में स्थित है. इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करके चंद्रमा ने दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाई थी. यही कारण है कि इसे चंद्र यानि सोम ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.
आंध्र प्रदेश की कृष्णा नदी पर मौजूद श्रीशैल नामक पर्वत पर शिवजी का दूसरा ज्योतिर्लिंग स्थापित है. जिसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. धारण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने पर व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है.
मध्य प्रदेश के उज्जैन में तीसरा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जोकि एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है. सावन के हर सोमवार को यहां भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, जिसे देखने लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
मध्यप्रदेश के इंदौर के पास में नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग मौजूद है, जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. यहां शिव जी का शिवलिंग ओं का आकार लिए हुए है, इसलिए इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.
उत्तराखंड स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का भी विशेष धार्मिक महत्व है. शिव को जितना कैलाश पर्वत प्रिय है, उतना ही उन्हें केदार प्रिय है. केदार धाम की महिमा का वर्णन स्कंद और शिव पुराण में भी मिलता है. इसे छोटे चार धाम में से भी एक माना गया है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं. यहां शिव जी ने कुम्भकर्ण के पुत्र भीम समेत अनेक राक्षसों का वध किया है.
काशी विश्वनाथ शिव भगवान के सारे ज्योतिर्लिंग में सबसे विशेष है. ये उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है, जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं. शिव जी के इस स्थान का प्रलय भी बाल बांका नहीं कर सकता है. प्रलय आने पर भी काशी का अस्तित्व नहीं डूबेगा.
महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ब्रह्मगिरि पर्वत के पास स्थित है. मान्यताओं के अनुसार, ऋषि गौतम और गोदावरी नदी के कारण भगवान शिव को यहां ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित होना पड़ा.
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना का श्रेय रावण को दिया जाता है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग की दर्शन करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. यही कारण है कि इस ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है.
गुजरात के द्वारिका में मौजूद नागेश्वर ज्योतिर्लिंग काफी विशेष है. लिंग का अर्थ है नागों का ईश्वर यानी भगवान शिव. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, और पूरी श्रद्धा के साथ शिवजी की आराधना करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.
चार धामों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना विष्णु के अवतार श्री राम ने की थी. यही कारण है ज्योतिर्लिंग का नाम भगवान राम के नाम पर रामेश्वरम पड़ा है. इस ज्योतिर्लिंग की विशेष धार्मिक महत्व है, जहां दर्शन करने लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
औरंगाबाद शहर के दौलताबाद में घुश्मेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग मौजूद है. यह भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग है. जिसकी स्थापना अहिल्याबाई होल्कर ने कराई थी. शिवलिंग को घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.