Sawan 2023: शिव जी के इस मंदिर में प्रसाद के नाम पर बांटा जाता है गांजा, जानें ऐसा क्यों?

 
Sawan 2023: शिव जी के इस मंदिर में प्रसाद के नाम पर बांटा जाता है गांजा, जानें ऐसा क्यों?

Sawan 2023: भारत देश में शिवजी के अनेक मंदिर स्थापित है. जिन प्रत्येक मंदिरों में भगवान शिव के भक्त काफी संख्या में पहुंचते हैं. भगवान शिव जिन्हें सभी देवताओं में प्रमुख माना गया है. भगवान शिव की आराधना के लिए सावन का महीना निर्धारित किया गया है. सावन के दिनों में भगवान शिव के भक्त शिव जी से जुड़े अनेक रहस्यों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं.

ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको शिवजी के एक ऐसे अनोखी मंदिर के बारे में बताने वाले हैं. जहां भगवान शिव के भक्तों को प्रसाद के रूप में गांजा मिलता है. इस अनोखी मंदिर का इतिहास और परंपरा के बारे में आगे हम जानेंगे. तो चलिए जानते हैं.

कर्नाटक में स्थित है भगवान शिव का यह मंदिर (Sawan 2023)

ऊपर हमारे लेख में हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, उसे भगवान शिव (Sawan 2023) का चमत्कारी मंदिर कहा गया है. यह मंदिर कर्नाटक में मौजूद है जोकि श्री मौनेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर उत्तरी कर्नाटक के यादगीर जिले में स्थापित है. इस मंदिर में दूर-दूर से लोग शिव की उपासना के लिए पधारते हैं.

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कर्नाटक स्थित भगवान शिव के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में आने पर व्यक्ति को बेहद शांति का अनुभव होता है. इसके साथ ही जो व्यक्ति यहां पर अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु पदार्थ है उसे अवश्य ही भगवान शिव की कृपा मिलती है.

सावन (Sawan 2023) के दिनों में इस मंदिर में भगवान शिव (Sawan 2023) के भक्तों की खासा भीड़ देखने को मिलती है. इस मंदिर में भगवान शिव के भक्तों को प्रसाद के तौर पर गांजा प्राप्त होता है. जिसके पीछे मान्यता है कि गांजे को प्रसाद के तौर पर खाकर भगवान शिव के भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती हैं, जिस कारण यहां वर्षों से प्रसाद के तौर पर गांजा बंट रहा है.

इस मंदिर में नए साल के अवसर पर एक मेला भी आयोजित होता है, जिसमें भी प्रसाद के तौर पर भक्तों को गांजा दिया जाता है. एक शोध के मुताबिक, गांजे के तौर पर दिया गया प्रसाद बेहद पवित्र होता है जोकि एक पवित्र घास का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है.

इस मंदिर में आने वाले कई लोग गांजे के प्रसाद का सेवन करने के बाद योग और ध्यान करते हैं और उनका मानना है कि इस प्रसाद की आदत भी नहीं लगने पाती. जो भी व्यक्ति इस प्रसाद को ग्रहण करता है, वह काफी शांति और सुख का अनुभव करता है.

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