Shani Aarti Lyrics: शनि देव की कृपा पाने का केवल है एक ही उपाय, हर शनिवार को ये आरती जरूर गाएं

 
Shani Aarti Lyrics: शनि देव की कृपा पाने का केवल है एक ही उपाय, हर शनिवार को ये आरती जरूर गाएं

Shani Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में शनि देव को देवताओं में एक विशेष स्थान प्राप्त है. शनि देवता को न्याय प्रिय देवता की संज्ञा दी गई है, जोकि लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से दंड देते हैं. ऐसे में लोग हमेशा प्रयास करते हैं कि भूल से भी उनके द्वारा कोई ऐसा काम ना हो जाए, जिससे शनि देव उनसे नाराज हो जाए.

यही कारण है कि शनि देव की कृपा पाने के लिए उनके भक्त हर शनिवार को विधि विधान और सम्पूर्ण तन, मन के साथ उनकी आराधना करते हैं, और उनसे प्रार्थना करते हैं कि शनिदेव सदा उनपर अपना आशीर्वाद बनाए रखे.

इसी कड़ी में आज हम आपके लिए शनिदेव को खुश करने हेतु एक अचुक युक्ति लेकर आए हैं, जिसका ठीक तरीके से पालन करने के बाद ही आपको शनि की बुरी नज़र से छुटकारा मिलता है, लेकिन ध्यान रहे आपको शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस उपाय का सहारा लेना है.

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Shani Aarti Lyrics: शनि देव की कृपा पाने का केवल है एक ही उपाय, हर शनिवार को ये आरती जरूर गाएं
Image Credit:- thevocalnewshindi

तो आपको ये उपाय शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद ही प्रयोग में लाना है, तभी ये आपको लाभ देगा, तो चलिए जानते हैं... यहां पढ़ें शनि देवता की आरती कई लोग शनिवार के दिन शाम के समय दीया जलाते हैं, और शनिदेव के मंदिर में जाकर उनकी उपासना करते हैं.

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कुछ लोग शनिवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़कर भी शनिदेव को खुश करने का प्रयास करते हैं, इसी तरह से आप शनिदेव की आरती का गान करके भी शनिदेव का आशीर्वाद पा सकते हैं.

यहां पढ़ें शनिदेव की आऱती (Shani Aarti Lyrics)

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा ।

अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,

करें तुम्हारी सेवा ।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा ॥

जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,

घोर कष्ट वह पावे ।

धन वैभव और मान-कीर्ति,

सब पलभर में मिट जावे ।

राजा नल को लगी शनि दशा,

राजपाट हर लेवा ।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा ॥

Shani Aarti Lyrics: शनि देव की कृपा पाने का केवल है एक ही उपाय, हर शनिवार को ये आरती जरूर गाएं
Image Credit:- thevocalnewshindi

जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,

सकल सिद्धि वह पावे ।

तुम्हारी कृपा रहे तो,

उसको जग में कौन सतावे ।

ताँबा, तेल और तिल से जो,

करें भक्तजन सेवा ।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा ॥

हर शनिवार तुम्हारी,

जय-जय कार जगत में होवे ।

कलियुग में शनिदेव महात्तम,

दु:ख दरिद्रता धोवे ।

करू आरती भक्ति भाव से,

भेंट चढ़ाऊं मेवा ।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा॥

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