Shani puja: सूर्यास्त के बाद क्यों होती है शनिदेव की पूजा, जान लें
Shani puja: हिंदू धर्म में न्याय देवता के तौर पर शनिदेव पूजे जाते हैं. शनि देव जिनकी बुरी दृष्टि यदि किसी पर पड़ जाए, तो उस व्यक्ति का अनिष्ट होना निश्चित है. ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि शनिदेव की कृपा दृष्टि उस पर बनी रहे. जिसके लिए वह शनिवार के दिन शनि देव की विधि-विधान से उपासना करता है. शनिवार का दिन विशेष तौर पर शनिदेव को पूजने का दिन है.
इस दिन कई लोग शनिदेव के मंदिर में जाकर दीया जलाते हैं या शनिदेव को तेल अर्पित करते हैं. ऐसे में शनिवार के दिन शनिदेव की आराधना करने से पहले क्या आपको पता है? कि शनिदेव (Shani puja) की आराधना तीन पहरों में से कब करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. यदि नहीं तो चलिए जानते हैं…
शनिदेव (Shani puja) की आराधना कब करना होता है सही?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव (Shani puja) की आराधना करने के लिए सूर्यास्त का समय सबसे उचित माना जाता है. भगवान शनि की पूजा यदि आप शनिवार के दिन सुबह या दोपहर के समय करते हैं, यहां तक कि आप यदि शनि देव की आराधना तब तक करते हैं जब तक सूरज नहीं ढलता, तब भी शनिदेव आपकी आराधना को स्वीकार नहीं करते.
ऐसा इसलिए क्योंकि शनिदेव की अपने पिता सूर्यदेव से बिल्कुल भी नहीं बनती है, ऐसे में शनि देव (Shani puja) की आराधना करते समय यदि सूर्य के प्रकाश की किरणें किसी व्यक्ति के ऊपर पड़ जाए, तो शनिदेव बेहद नाराज हो जाते हैं और उस व्यक्ति का नुकसान हो जाता है.
यहां तक कि महिलाओं को शनिदेव की पूजा करते समय उनकी मूर्ति को नहीं छूना चाहिए, और भूल से भी कभी भी शनिदेव (Shani puja) की पूजा करते समय उन्हें लाल रंग की चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए. संभव हो सके तो शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके ही करें, इससे शनिदेव आप पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं.
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