shani stotra in hindi: आज शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है.आज के दिन शनि देव के भक्त और अन्य लोग शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए अनेकों उपाय करते हैं. ताकि शनि की कुदृष्टि उनपर ना पड़ने पाए. वैसे शनि देव हिंदू धर्म के प्रमुख देवों में से एक हैं. जिनके पिता सूर्य देव हैं. और शनिदेव अच्छे लोगों पर सदा अपनी कृपा बनाए रखते हैं, जबकि बुरे लोगों को दंडित करते हैं. हालांकि अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि फलां व्यक्ति पर शनि देव की साढ़े साती चल रही है.
ये भी पढ़े:- शनि देव महाराज हो सकते हैं आपकी इन बातों से नाराज, तो रहिए सावधान
जिससे तात्पर्य है शनि देव की बुरी नजर आपके ऊपर है, ऐसे में यदि आपकी कुंडली में भी शनि की छाया है, या शनि की साढ़े साती चल रही है. तो प्रत्येक शनिवार आप शनि स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. जिसे करने मात्र से आपको शनि की कृपा औऱ आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता है कि शनि स्तोत्र का पाठ करके स्वयं राजा दशरथ शनि की बुरी दृष्टि से बच गए थे, तभी से हर शनिवार को शनि स्तोत्र का पाठ करने को कहा जाता है. तो चलिए जानते हैं….
यहां पढ़े शनि स्तोत्र…
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।1
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:। 7

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।10

कहते हैं राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि देव की स्तुति की थी, जिसे ही शनि स्तोत्र का पाठ कहा जाता है. मान्यता है कि राजा दशरथ के सेवा भाव औऱ स्तुति से जब शनिदेव प्रसन्न हो गए. तब उन्होंने राजा दशरथ से वरदान मांगने को कहा.
जिस पर राजा दशरथ ने कहा कि हे प्रभु, आप संसार के सारे जीवों के कष्ट मिटा दें. जिस पर शनि देव ने कहा, ऐसा करना तो मेरे लिए असंभव है, लेकिन हां जो भी आज से शनि स्तोत्र का पाठ पूर्ण, निष्ठा औऱ सच्ची भक्ति के साथ करेगा, उसके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होगा. कहते हैं तभी से शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि स्तोत्र का पाठ किया जाता है.