Shiv facts: शिव जी मस्तिष्क पर चंद्रमा और हाथ में त्रिशूल क्यों रखते हैं? जानें इसके पीछे की वजह
Shiv facts: शिव अनादि है… शिव अंनत है… शिव ओंकार है… और शिव ही भगवंत है…कहते है सृष्टि के कण कण में शंकर विराजमान हैं. अगर महादेव हर कण में मौजूद न होते तो इस धरती पर उनकी पूजा अनेक रुपों में न की जाती. शिव समय-समय पर अपनी शक्ति का प्रमाण देते आए हैं.
हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की खुदाई से निकले अवशेषों से लेकर सिंधु घाटी से पाए गए 4,700 वर्ष पुराने शिवलिंगों ने हर बार महादेव के होने का संकेत दिया. जिसे जिसने भी समझा… जिसने भी जाना… उसके लिए मुश्किल से मुश्किल परिस्थिती भी आसान हुईं. आसान हुआ जीवन जीने का हर वो ढ़ग जो व्यक्ति को हर संकट से पार कराने का मार्ग दिखाता है… आज हम शिव के उन्ही 5 रोचक तथ्यों को जानने की कोशिश करेंगे.
तन पर शेर की खाल पहन, ललाट चंदन शुशोभित है।
भांग घतुरा ग्रहण किए, गले में नागों की माला है।।
महादेव का तीसरा नेत्र आदि न जाने कितने रहस्य अपने अंदर समेटे हैं. जिसका वर्णन हमारे ग्रंथों में भी पाया गया है. जैसे ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो ही आंखें हैं, लेकिन शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो त्रीनेत्र हैं. महादेव के ललाट पर तिलक समान नेत्र, इन्हें त्रिनेत्रधारी बनाते हैं. कहते हैं कि शिव का तीसरा नेत्र प्रतीक है, विपरीत परिस्थिति में भी सही निर्णय लेने का. क्यों कि हमारी आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना. भगवान शिव का तीसरा नेत्र हमें विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है. इसकी शक्ति बुराई और अज्ञानता को खत्म करने का सूचक भी मानी जाती है.
शिव का प्रिय भस्म
जैसे हमारे शास्त्रों में महादेव के तीसरे नेत्र का वर्णन किया गया है. ठीक ऐसे ही शिव के भस्मा रूपी अवतार को लेकर भी कई बातों का जिक्र किया गया है. जहां हमारे शास्त्रों में सभी देवी-देवताओं को वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित बताया गया है. तो वहीं भगवान शंकर को सिर्फ हिरण की खाल लपेटे और तन पर भस्म, शिव के वस्त्र समान बताए गए हैं. भस्म धारण करने वाले शिव संसार को ये संदेश देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है.
शिव जी का त्रिशूल
रज, तम, सत….कहते हैं शिव का त्रिशूल इन तीन शक्तियों का प्रतिक है। कहा जाता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ और ब्रह्मनाद से शिव जी प्रकट हुए तो साथ ही रज, तम, सत ये तीनों गुण भी प्रकट हुए. यही तीनों गुण शिव के तीन शूल बने, जिसे त्रिशूल कहा गया. सत मतलब सात्विक, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी, यानि निशाचरी प्रवृति. जो कि हर मनुष्य में पाई जाती हैं. और महादेव के हाथों में ये त्रिशूल संसार को ये संदेश देता है कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो. यह त्रिशूल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए. तभी इन तीन गुणों का जरूरत के समय ही उपयोग हो.
शंकर के मस्तिष्क पर धारण चंद्रमा
भगवान शिव को जहां अनेकों नाम से जाना जाता है. वही शंकर को भालचंद्र भी कहा जाता है. वजह है मस्तिष्क पर धारण चंद्रमा. कहते हैं चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है, और इसकी किरणें भी शीतलता प्रदान करती हैं. ऐसे में भगवान शिव के मस्तिष्क पर विराजमान चंद्रमा जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या आने पर भी, दिमाग को हमेशा शांत रखने का संदेश देते हैं. क्यों कि अगर दिमाग शांत रहेगा, तो मन भी हमेशा अपते काबू में रहेगा. लेकिन चंचल मन जब भटकेगा तो लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाएगी. ऐसे में जरूरी है अपने मन पर नियंत्रण बनाए रखना. क्योंकि जिसने ये कर लिया, वो अपने जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से पा लेता है.
शिव का नीलकंठ अवतार
भगवान शिव का एक नाम नीलकंठ भी है. कहते हैं कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था. जिसके प्रभाव में उनका कंठ नीला पड़ गया, और वो नीलकंठ कहलाए. जिस विष को भगवान शंकर में अपने कंठ में धारण किया वो विष बुराई का प्रतीक है। शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर संसार को ये संदेश दिया कि हमें किसी भी बुराइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए. बुराइयों का हर कदम पर सामना करना चाहिए। इसके अलावा शिव ये भी संदेश देते हैं कि अगर कोई बुराई आपके सामने पैदा भी हो रही हो तो उसे दूसरों तक नहीं पहुंचने देना चाहिए.
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