Shri Jagannath rath yatra 2022: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आखिर क्यों रूकती है इस मजार पर? जानिए इससे जुड़ी मान्यता…

 
Shri Jagannath rath yatra 2022: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आखिर क्यों रूकती है इस मजार पर? जानिए इससे जुड़ी मान्यता…

Shri Jagannath rath yatra 2022: उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर वर्ष जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है. जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. भगवान जगन्नाथ जोकि विष्णु जी के अवतार माने गए हैं. उनकी हर वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाती है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की भीड़ एकजुट होती है. इस बार भी 1 जुलाई 2022 को जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाएगी.

जिसमें भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं. ये रथ यात्रा करीब 10 दिनों तक चलती है. जिसमें 7 दिनों तक भगवान जगन्नाथ मदिंर से निकलकर अपनी मौसी के घर यानि गुंडिचा मंदिर में विश्राम करते हैं. उसके बाद 10 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.

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मान्यता है कि जो भी भक्त इस रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसे 100 यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन इस रथ यात्रा को लेकर एक मान्यता प्रचलित है, कि जब भी जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकलती है, तो वह रास्ते में एक मजार पर रूकती है, पंरतु उसके पीछे क्या मान्यता है, हमारे आज के इस लेख में हम आपको यही बताने वाले हैं.

Shri Jagannath rath yatra 2022: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आखिर क्यों रूकती है इस मजार पर? जानिए इससे जुड़ी मान्यता…

जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा क्यों रूकती है मजार पर, जानिए

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार की बात है जब भगवान जगन्नाथ का एक मुस्लिम भक्त, जिसका नाम सालबेग था. वह उनके दर्शन नहीं कर पाया था, और उसने अपने प्राण त्याग दिए थे. ऐसे में जब उसके मरने के बाद उसकी मजार बनाई गई. तब एक बार जब वहां से जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली गई. तब रथ सालबेग की मजार के सामने खुद रूक गया. जिसके बाद जब तक सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना नहीं की गई.

तब तक रथ यात्रा आगे नहीं बढ़ पाई. तब से हर वर्ष जब जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकलती है, तब भगवान जगन्नाथ अपने इस मुस्लिम भक्त की आत्मा की शांति के लिए उसकी मजार पर पहुंचते हैं. और सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. उसके बाद ही जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा आगे निकलती है. कहते हैं तभी से जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा सालबेग की मजार पर थोड़ी देर के लिए जरूर रूकती है.

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