श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ने किया श्री रामचरितमानस काव्यानुवाद का विमोचन, कहा, 'भारतीय ज्ञान परंपरा का स्तंभ है महाकाव्य'
दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में श्री रामचरितमानस के हिंदी काव्यानुवाद का विमोचन किया गया। श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने महाकाव्य के नए प्रारूप का विमोचन किया। विमोचन करते हुए श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य महाराज ने अपने संबोधन में कहा, " हिन्दी भाषा में श्री रामचरितमानस के काव्यानुवाद करने से इसका प्रचार बढ़ेगा और सभी को श्री राम के जीवन से प्रेरणा मिलेगी । " आपको बता दें कि पुस्तक का मुद्रण रेप्रो बुक्स लिमिटेड ने किया है। चित्र-विन्यास विजय वर्मा ने किया है। पुस्तक बुकस्पेस नामक नए भारतीय पोर्टल पर उपलब्ध है
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री, भारत सरकार ने की। समारोह में श्री जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य जी महाराज, महंत रवींद्र पुरीजी महाराज जी , स्वामी जितेन्द्रनाथ जी महाराज जी, दण्डी स्वामी जितेन्द्रनाथ सरस्वती जी महाराज जी मौजूद थे। श्री अनुराग सिंह ठाकुर, माननीय सूचना और प्रसारण तथा खेल तथा युवा मामले के मंत्री विशिष्ट अतिथि थे।
राजनाथ सिंह ने बताया प्रेरणा का स्त्रोत
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, "सर्वप्रथम इस भागीरथ प्रयास के लिए धीरज भटनागर जी को धन्यवाद देता हूँ। मुझे इस आयोजन में आकर बहुत प्रसन्नता हुई है। इस लोकार्पण समारोह को मैं उत्सव समारोह के रूप में समझता हूँ। प्रभु श्री राम के जीवन पर आधारित श्री रामचरितमानस न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में नैतिक, मानवीय और व्यवहारिक गरिमा का पाठ पढ़ाता आया है। यह ग्रंथ समस्त मानवता के लिए करुणा और प्रेम और आदर्श का साक्षात पुंज है। गोस्वामी तुलसीदास को कलिकाल का वाल्मीकि कहा गया है। गोस्वामी तुलसीदास का राम कथा को लोककथा बनाने में सबसे बड़ा योगदान रहा है। आज श्री रामचरितमानस भारत की पहचान का एक कारण है। जिस तरह गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को जनभाषा में पिरोकर इस महाकाव्य की रचना की, उसी राह पर धीरज भटनागर जी ने भी खड़ी हिंदी बोली में इसे रूपांतरण कर एक उत्कृष्ट कार्य किया है। आने वाले समय में उनकी यह कृति भारतीय समाज के हृदय में निवास करेगी। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बनेगी।"
श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, "श्री राम की कथा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मध्यकाल में संस्कृत के प्रकांड पंडित गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को रामचरितमानस के रूप में उत्तर भारत में प्रचलित जनभाषा अवधी को चुना। अति कर्ण-प्रिय और अर्थवान होने पर भी महाकाव्य को मध्यकाल की जन-भाषा अवधी भाषा में लिखा गया है। इसका सही-सही अर्थ अधिकांश हिंदी-भाषियों को भी समझ में नहीं आ पाता है। जिस उद्देश्य से गोस्वामी जी ने रामकथा को जन-भाषा अवधी में लिखने का निश्चय किया था। वह आज भी प्रासंगिक है। यह सम-सामयिक आवश्यकता है कि अवधी में लिखे इस अद्भुत महाकाव्य को हिंदी काव्य-रूप में घर-घर तक पहुंचाया जाए। "
अनुराग सिंह ठाकुर ने किया ऑडियो प्रारूप का लोकार्पण
श्री राम की कथा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मध्यकाल में संस्कृत के प्रकांड पंडित गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को रामचरितमानस के रूप में उत्तर भारत में प्रचलित जनभाषा अवधी को चुना। अति कर्ण-प्रिय और अर्थवान होने पर भी महाकाव्य को मध्यकाल की जन-भाषा अवधी भाषा में लिखा गया है। इसका सही-सही अर्थ अधिकांश हिंदी-भाषियों को भी समझ में नहीं आ पाता है। जिस उद्देश्य से गोस्वामी जी ने रामकथा को जन-भाषा अवधी में लिखने का निश्चय किया था। वह आज भी प्रासंगिक है। यह सम-सामयिक आवश्यकता है कि अवधी में लिखे इस अद्भुत महाकाव्य को हिंदी काव्य-रूप में घर-घर तक पहुंचाया जाए।
बता दें कि सुन्दर काण्ड के ऑडियो प्रारूप के लिए संजय कुमार झा ने संगीत दिया है, जिसके लिए सुरेश वाडकर, पंडित आनंद शर्मा, सुश्री तुलसी कुमार, कपिल शर्मा, श्रीमती पद्मा वाडकर, सुश्री संजीवनी भिलन्दे, देबोजीत साहा, सुश्री लीना बोस, सुश्री इन्द्राणी भट्टाचार्जी, दुष्यंत प्रताप सिंह, सचिन शर्मा, सुश्री सुगंधा दाते और संजय कुमार झा ने अपनी आवाज़ दी है।
धीरज भटनागर ने किया है अनुवाद
डॉ. धीरज भटनागर ने पिछले दो वर्षों गोस्वामी तुलसीदास-कृत श्रारामचरितमानस का खड़ी बोली हिंदी में काव्यानुवाद सम्पूर्ण किया है। इस हिंदी काव्यानुवाद का उद्देश्य अवधी में रचित श्रीरामचरितमानस को बोधगम्य बनाना है। काव्य-अनुवाद के सुंदरकांड को सोशल मीडिया यथा यूट्यूब पर ऑडियो रूप में भी लॉन्च किया जा रहा है।
"तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम को जानने का एक शानदार तरीका है। चूंकि यह अवधि में था, इस वजह से विशेष रूप से इंटरनेट की दुनिया में इसकी पहुंच सीमित थी। आज, हमने इसे एक नई भाषा में पेश किया है। इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के सार को महसूस करने के लिए प्रौद्योगिकी ट्रांसक्रिप्शन के सहारे विशेषज्ञ एवं आम लोगों से भी मदद ली गई है," डाॅ. धीरज भटनागर ने कहा।
इसे भी पढ़ें: Aaj ka rashifal: आज बुधवार को गणेश जी की किस राशि पर होगी कृपा. जानिए अपनी राशि का हाल, आज के राशिफल से