Shukrawar ka chalisa: आज के दिन माता संतोषी की कृपा पाने के लिए कीजिए चालीसा का पाठ, होगी तरक्की...
shukrawar ka chalisa: शुक्रवार के दिन माता संतोषी के भक्त श्रद्धा और पूर्ण निष्ठा से शुक्रवार के व्रत का पालन करते हैं.
मान्यता है कि जो भी भक्त आज के दिन सच्चे मन से माता की आराधना करता है, माता संतोषी अपने उस भक्त की सारी परेशानियां हर लेती है.
ऐसे में आज शुक्रवार के दिन यदि आप माता संतोषी के व्रत के दौरान चालीसा का पाठ करते हैं, तो आपको अवश्य ही लाभ होगा.
माता संतोषी के व्रत का पालन करने के दौरान यदि आप उनके चालीसा का भी गान करते हैं, तो आपके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है. साथ ही माता की कृपा से आपको बुद्धि, बल और ज्ञान की भी प्राप्ति होती है.
अगर माता संतोषी अपने भक्त से प्रसन्न होती हैं, तो चालीसा का पाठ करने से माता लक्ष्मी अपने भक्त के सारे कष्ट हर लेती हैं, और उसे आशीर्वाद देती हैं.
ये भी पढ़े:- देवी लक्ष्मी की बरेसगी कृपा, केवल इस तरह से कीजिए व्रत का पालन और कीजिए मंत्र का उच्चारण
इसलिए शुक्रवार के दिन माता संतोषी के व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए. साथ ही माता संतोषी की कृपा पाने के लिए चालीसा का पाठ भी करना चाहिए.
यहां पढ़ें पूरा चालीसा….
जय संतोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी। मां तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन॥॥
जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया। सब पर करो कृपा की छाया॥॥
नाम अनेक तुम्हारे माता। अखिल विश्व है तुमको ध्याता॥
तुमने रूप अनेकों धारे। को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥॥
धाम अनेक कहां तक कहिये। सुमिरन तब करके सुख लहिये॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी। कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी॥
कलकत्ते में तू ही काली। दुष्ट नाशिनी महाकराली॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती। भक्तजनों का दुःख मिटाती॥॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी। पूजत नित्य भक्त जन सेवी॥
नगर बम्बई की महारानी। महा लक्ष्मी तुम कल्याणी॥॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो। सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो॥
राजनगर में तुम जगदम्बे। बनी भद्रकाली तुम अम्बे॥॥
पावागढ़ में दुर्गा माता। अखिल विश्व तेरा यश गाता॥
काशी पुराधीश्वरी माता। अन्नपूर्णा नाम सुहाता॥॥
सर्वानंद करो कल्याणी। तुम्हीं शारदा अमृत वाणी॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में। दुख दारिद्र सब मेटो पल में॥॥
जेते ऋषि और मुनीशा। नारद देव और देवेशा।
इस जगती के नर और नारी। ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी॥॥
जापर कृपा तुम्हारी होती। वह पाता भक्ति का मोती॥
दुख दारिद्र संकट मिट जाता। ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता॥॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै। ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै॥
जो मन राखे शुद्ध भावना। ताकी पूरण करो कामना॥॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री। जयति जयति माता जगधात्री॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन। जो व्रत करे तुम्हारा पावन॥॥
गुड़ छोले का भोग लगावै। कथा तुम्हारी सुने सुनावै॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी। फिर प्रसाद पावे शुभकारी॥॥
शक्ति- सामरथ हो जो धनको। दान- दक्षिणा दे विप्रन को॥
वे जगती के नर औ नारी। मनवांछित फल पावें भारी॥॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे। सो निश्चय भव से तर जावे॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे। निश्चय मनवांछित वर पावै॥॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी। अमर सुहागिन हो वह नारी॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा। भवसागर से उतरे पारा॥॥
जयति जयति जय संकट हरणी। विघ्न विनाशन मंगल करनी॥
हम पर संकट है अति भारी। वेगि खबर लो मात हमारी॥॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता। देह भक्ति वर हम को माता॥
यह चालीसा जो नित गावे। सो भवसागर से तर जावे॥॥