भगवान श्री राम के विवाह के कुछ सुने अनसुने किस्से

 
भगवान श्री राम के विवाह के कुछ सुने अनसुने किस्से

सतयुग में जन्मे प्रभु श्री राम को यह दुनिया एक आदर्श पुत्र, भाई और राजा के रूप में देखती है. अयोध्या नगरी में जन्मे प्रभु श्री राम को एक आदर्श पति भी माना जाता है. प्रभु श्री राम का विवाह मिथिला राज्य के राजा जनक की पुत्री माता सीता से हुआ. माता सीता और प्रभु राम को हम सिया राम भी बोलते है, आज हम सिया राम के विवाह के कुछ ऐसे तथ्यों को जानेंगे जिन्हें अधिकांश लोग नही जानते.

सिया राम का विवाह कब हुआ था

सनातन धर्म में शास्त्रों और पंचांग के अनुसार ही सभी शुभ कार्य किए जाते है. इसी पंचांग के अनुसार माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को हुआ था. इसीलिए इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जानते है.

ऐसे हुआ सीतास्वयंवर

देवी सीता का जन्म मिथिला की पावन भूमि पर राजा जनक और रानी सुनयना के साथ हुआ था इसीलिए उन्हें जनकनंदनी भी कहते है. वहीं प्रभु श्री राम महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के घर अयोध्या में जन्मे थे.

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राजा जनक की पुत्री सीता अत्यंत रूपवती, गुणवति और सौंदर्य की स्वामिनी थीं. सुकुमारी सिया के शारीरिक बल का पता उनके पिता को उस समय हुआ जब बचपन में सीता ने खेलते समय में भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था. इसके बाद ही राजा जनक ने यह निर्णय लिया था कि अब सीता जी का विवाह उस मनुष्य से ही होगा जो इस धनुष को उठा सकेगा.

इसीलिए राजा जनक ने माता सीता के विवाह योग्य होने पर स्वयंवर का आयोजन किया और इस स्वयंवर में उन्होंने यह शर्त भी रखी की जो भगवान शिव के इस धनुष को उठा सकेगा उसके साथ ही वह अपनी पुत्री सीता का विवाह कराएंगे. उस सभा में उपस्थित सभी योग्य राजा एवम राजकुमार आए थे जिसमे से कोई भी उस धनुष को उठाने का समर्थ नहीं रख पाया अंत में प्रभु श्री राम ने उस धनुष को उठा कर माता सीता के साथ विवाह किया.

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