इसलिए विष्णु जी ने धारण किया था विराट रूप
भगवान विष्णु जी ने एक बार अपना विराट रूप देवी लक्ष्मी के सामने दिखाया था. अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग कथाएं बताई गईं है. कहीं बताया गया है कि उन्होंने नारद जी को भी अपना विराट रूप दिखाया था. आपको बता दें कि नारद जी, विष्णु जी के परम् भक्तों में से एक हैं. विष्णु जी के विराट रूप को विश्वरूप बताया गया है. श्रीमद्भागवत गीता के 11वें अध्याय में विष्णु जी के विराट रूप का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है. जिसमें उल्लेखित है कि महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना दिव्य रूप दिखाया था. इसके अतिरिक्त भी कुछ और लोगों को विष्णु जी ने अपना विराट रूप दिखाया है. जैसे भक्त प्रह्लाद को वामन अवतार में विराट रूप के दर्शन दिए. द्वापर युग में मां यशोदा को विराट रूप के दर्शन दिए थे.
भगवान विष्णु जी का विराट रुप
जब कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों का युद्ध होने वाला था. श्री कृष्ण, अर्जुन के सारथी थे और अर्जुन ने अपने सामने कौरवों की सेना में खड़े अपने सगे संबंधियों को देखकर शस्त्र रख दिए. और केशव से बोले कि हे केशव ! मैं इनपर बाण कैसे चलाऊ, इनका वध कैसे करूँ यह तो मेरे अपने खून अंश के हैं. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने गीता ज्ञान प्रारम्भ किया. और गीता के उपदेशों के दौरान ही अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया. विराट रूप देखते ही अर्जुन का इस नश्वर संसार से मोह हट गया. और उन्हें युद्ध व जीवन का असली मूल समझ आया.
इसी प्रकार उन्होंने मां यशोदा को द्वापरयुग में अपने बाल्यकाल में उनको अपने विराट रूप के दर्शन कराए थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में मिट्टी खा ली थी. मां यशोदा ने उनसे उनका मुँह खोलने को कहा, कान्हा जी ने जब मुँह खोला तो उसमें सारा ब्रहम्माण्ड समाहित था. मां के अचम्भित होने पर उन्होंने यशोदा मां को अपने विराट रूप के दर्शन दिए. इसी प्रकार की अनेक पौराणिक कथायें हैं, विष्णु जी के विराट रूप से सम्बंधित.
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