Teacher's Day 2021: प्राचीन भारत के 5 शिक्षक - गुरु विशिष्ठ से शुक्राचार्य तक
वैसे से तो दुनियां के कई शिक्षक ( teacher Day) है जिन्होंने अपनी शिक्षा से काफी बदलाव लाएं हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही भारत के प्राचीन शिक्षक जिनकी शिक्षा को अभी तक अमर है|
गुरु विशिष्ठ
सप्त ऋषियों में से एक गुरु विशिष्ठ ने राज दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्षण, भारत और शत्रुधन को शिक्षा दी थी। गुरु विशिष्ठ के ही काल में विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, पशुराम और अष्टाव्रक्र भी थे।
भारद्वाज
महान ऋषि अंगिरा के पुत्र बृहस्पति हुए जो देवताओं के गुरु थे। इन्हीं गुरु बृहस्पति के पुत्र महान ऋषि भारद्वाज हुए। चरक ऋषि ने भारद्वाज को अपरिमित आयु वाला कहा है। भारद्वाज ऋषि काशीराज दिवोदास के पुरोहित थे। वे दिवोदास के पुत्र प्रतद्रण के भी पुरोहित थे और फिर प्रीतद्रन के पुत्र क्षत्र का भी उन्हीं ने यज्ञ संपन्न कराया था। वनवास के समय प्रभु श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का संधिकाल था। उक्त प्रमाणों से भारद्वाज ऋषि को अपरिमित वाला कहा गया है। इनका आश्रम प्रायागराज में था।
वेद व्यास
महाभारत काल में वेद व्यास एक महान गुरु और शिक्षक थे। श्रीकृष्ण के अलावा उनके चार अन्य शिष्य थे। मुनि पैल, वैशंपायन, जैमिनी तथा सुमंतु। इन्हीं के काल में गर्ग ऋषि, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे महान ऋषि थे। इस काल में सांदीपनि भी थे। महान ऋषि सांदीपनि ने श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी।
ऋषि शौनक
महाभारत के अनुसार शौन ऋषि ने ही राजा जनमेजय का अश्वमेध और सर्पसत्र नामक यज्ञ कराया था। शौनक ने दस हजार विद्यार्थीयों के गुरुकुल कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वे दुनियां के पहले कुलपति थे।
शुक्राचार्य
भृगुवंशी दैत्यगुरु शुक्राचार्य का असली नाम शुक्र उशनस है। गुरु शुक्राचार्य को भगवान शिव ने मृत संजीवनी दिया था जिससे की मरने वाले दानव फिर से जीवित हो जाते थे। गुरु शुक्राचार्य ने दनावों के साथ देव पुत्रों को भी शिक्षा दी।
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