इसलिए नहीं की जाती सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की पूजा
कहा जाता है कि यह सृष्टि त्रिदेव ही चलाते है. ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता, विष्णु जी को सृष्टि का पालनहार व महेश को सृष्टि का संहारक माना जाता है. पृथ्वी पर विष्णु जी व महेश जी के हजारों लाखों मन्दिर हैं किंतु ब्रह्मा जी के बहुत ही कम मन्दिर हैं. जिसमें से एक मन्दिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित हैं. पुष्कर का मंदिर जितना प्रसिद्ध व पौराणिक है वैसा दूसरा कहीं और नहीं. यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां सृष्टि में रहने वाले मानव सृष्टि के रचयिता की आराधना करते हैं.
पुष्कर का अभिप्राय होता है ऐसा तालाब जिसका निर्माण पुष्पों से हुआ हो. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने की सोची. जिसके बाद उन्हें यज्ञ करने के लिए पृथ्वी पर जगह तलाश करनी थी. जगह की तलाश करने के लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले कमल को पृथ्वी लोक पर भेजा. वह कमल राजस्थान के पुष्कर में पहुंचा और कमल का पुष्प तालाब के बिना नहीं रह सकता इसलिए इस जगह पर तालाब का निर्माण हुआ. जिसके बाद ब्रह्मा जी इस स्थान पर आए.
सृष्टि के रचयिता की इसलिए नहीं होती पूजा
जब यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी पृथ्वी लोक पर आए तो उनकी पत्नी सावित्री को आने में थोड़ा बिलम्ब हो गया. और इसी कारण यज्ञ का शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था. जिस वजह से ब्रह्मा जी ने वहां की एक स्थानीय ग्वाल बाला से विवाह कर लिया और यज्ञ शुरू कर दिया. जब सावित्री देर से आई और उन्होंने अपने स्थान पर किसी और महिला को देखा तो वह क्रोधित हो उठीं. और क्रोधवश उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप से दिया कि पृथ्वी लोक में तुम्हारी कभी भी कोई भी पूजा नहीं करेगा. सावित्री के श्राप देते ही सभी देवी देवता विचलित हो गए और उन्होंने सावित्री से श्राप वापस लेने का निवेदन किया. किन्तु सावित्री नहीं मानीं जब उनका गुस्सा खुद-ब-खुद कम हुआ तो उन्होंने कहा पृथ्वी लोक में सिर्फ पुष्कर में ही तुम्हारी पूजा-अर्चना की जाएगी व वहीं तुम्हारा मन्दिर बनेगा. यदि कोई अन्य व्यक्ति आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा.
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