शनि और दैत्य गुरु शुक्राचार्य की दोस्ती इन लोगों के लिए है वरदान
जो लोग हमे अच्छे लगते हैं वो हमारी Friendship List में शुमार हो जाते हैं. और जिन लोगों से हमारी नहीं बनती उनके साथ हमारा दुश्मनी जैसा भाव होता है.
इसी तरह शक्तिशाली नवग्रहों के बीच भी दोस्त और दश्मनी का भाव मौजूद रहता है. मतलब ये है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो या मित्र ग्रहों के साथ हो वो ग्रह अपन शुभ फल देगा.
इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या फिर शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी आ जाएगी. ऐसे में जानते हैं शुक्र-शनि का मैत्री भाव या फिर यूं कहे कि कि शनिदेव और गुरु शुक्राचार्य के बीच की दोस्ती किन 3 राशियों को अपार लाभ देती है.
साथ ही जानते हैं किस प्रकार शुक्र-शनि का मेल आम से खास हर किसी को धन-वैभव देकर जाता है. अब आपस में परम मित्रता का भाव रखने वाले शनि-शुक्र एक दूसरे से कितने अलग है. अगर शनि तीनों लोकों के न्यायधीश हैं. तो शुक्र भाग्य के स्वामी हैं.
एक ओर शुक्र सांसारिक और भौतिक सुखों का कारक हैं तो शनि भौतिक सुखों से दूर अध्यात्म की ओर ले जाने वाले ग्रह. शुक्र सफ़ेद रंग का प्रतिनिधित्व करते है तो शनि काले रंग का प्रतिनिधित्व करते है. धन-धान्य,ऐश्वर्य, कला, सौंदर्या और भौतिक सुखों के कारक शुक्र माने जाते हैं.
तो वहीं शनि को संतुलन सीमा और न्याय का ग्रह कहा गया है. अब ऐसे में अगर किसी व्यक्ति पर शुक्र-शनि की कृपा दृष्टि पड़ गई या फिर कुंडली में दोनों ही ग्रह मजबूत स्थिती में होते हैं तो परिणाम स्वरूप क्या कुछ देते हैं.
पहले आपको बतातें है कि कैसे शुक्र और शनि का मेल दिलाता है अपार धन-वैभव. यदि कुंडली में शुक्र और शनि एकसाथ हों. और अन्य सभी ग्रह भी शुभ स्थान में बैठे हों तो उस व्यक्ति को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.
कुंडली में शुक्र और शनि के लग्न स्थान में हों तो जातक को स्त्री सुख, सुंदर रूप, सुख, धन, नौकर आदि प्राप्त होते हैं. कुंडली में शुक्र और शनि के चौथे घर में होने पर उस व्यक्ति को अपने किसी मित्र से धन की प्राप्ति होती है. वह अपने भाइयों से आदर और मान-सम्मान प्राप्त करता है.
यदि किसी की कुंडली में शुक्र और शनि सप्तम भाव में विराजमान हों तो वह व्यक्ति स्त्री सुख, धन, सम्पत्ति और सभी भौतिक सुखों को भोगता है.
इन राशियों के लिए वरदान है इनकी दोस्ती
इसके अलावा तीन ऐसी राशियां हैं जो शुक्र-शनि की मित्रता के कारण धन-धान्य से लेकर भौतिक सुखों का भोग करती है. इस कड़ी में पहली राशि तुला है. जिसके स्वामी शुक्र हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुक्र के साथ मित्रता का भाव रखने से शनि की यह उच्च राशि मानी गई है.
इस राशि वालों पर शुक्र व शनि दोनों ग्रहों की कृपा रहती है. इस राशि के जातक अपनी मेहनत व ईमानदारी से सफलता हासिल करते हैं. ये अपने कार्यक्षेत्र में नाम रोशन करते हैं. फिलहाल तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है. जिसके कारण इस राशि के जातकों को कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है.
दूसरी राशि शनि की स्वराशि मकर है. इन पर दैत्य गुरु शुक्राचार्य की विशेष कृपा रहती है. कहा जाता है कि इस राशि के जातक बुद्धिमान और होशियार होते हैं. ये अपनी मेहनत के दम पर सफलता पाते हैं और खूब तरक्की करते हैं. फिलहाल इन लोगों पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है.
इसी राशि में शनि वक्री अवस्था में हैं. इसके अलावा तीसरी राशि भी शनि की है कुंभ. इन लोगों को शनि-शुक्र दोनों का आर्शीदवाद मिलता है. ये लोग काफी ईमानदार और भरोसेमंद होते हैं और ये लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
जो कि ईमानदारी और जरूरतमंदों की मदद करना जो शनि को सबसे ज्यादा भांता है. इसलिए उनके मित्र शुक्र इन लोगों को पूरी जिंदगी भरभर कर देते हैं.
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