हनुमान चालीसा में है हर समस्या का समाधान, रोज पाठ करने से बदल जाती है इंसान की किस्मत

 
हनुमान चालीसा में है हर समस्या का समाधान, रोज पाठ करने से बदल जाती है इंसान की किस्मत

जीवन में व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से परेशान रहता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कई प्रकार के दोष होते हैं, जिससे व्यक्ति का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। इन सभी समस्याओं का समाधान श्री हनुमान चालीसा में है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इस कलियुग में हनुमान जी जागृत देवता हैं। जिस व्यक्ति को हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त होती है, उसका जीवन आनंद से भर जाता है। हनुमान चालीसा की हर पंक्ति एक महामंत्र है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होती है। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैया से मुक्ति मिलती है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने के लाभ

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय से मुक्ति मिलती है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से किसी भी प्रकार के कार्य में बाधा नहीं आती है।

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व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलने लगती है।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।

जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसकी रक्षा स्वयं हनुमान करते हैं।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से बड़े से बड़े रोग भी दूर हो जाते हैं।

जो व्यक्ति प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करता है वह रोगों से दूर रहता है।

हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

हनुमान जी के भक्तों पर कोई बुरी नजर नहीं पड़ती।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।

जिस व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा बरसती है, उस पर समस्त देवी-देवताओं की विशेष कृपा होती है।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।

हनुमान चालीसा में है हर समस्या का समाधान, रोज पाठ करने से बदल जाती है इंसान की किस्मत
Image credit: pixabay

श्री हनुमान चालीसा :

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

दोहा :

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

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