साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इस राशि को करेगा सबसे ज्यादा प्रभावित, जानें

 
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इस राशि को करेगा सबसे ज्यादा प्रभावित, जानें

जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है, तो सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है. ठीक वैसे ही जब भी ग्रहण लगता है तो इसका प्रभाव भी सभी 12 राशियों पर अलग अलग देखने को मिलता है. ऐसे में आज हम बात करेंगे साल के आखिरी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और उस दौरान रहने वाली ग्रहों की स्थिति की. वहीं बताएंगे की आने वाले वक्त में ये सूर्य ग्रहण किस राशि को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा.

दरअसल साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021, के कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा. ऐसे में आज इसकी चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि कि साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास रहने वाला है… जिसके लिए आपको ग्रहों की स्थिति को समझना भी जरूरी है..

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सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति

सूर्य ग्रहण के दौरान वृष राशि मे राहु, तुला राशि में मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, चंद्रमा, बुध और सूर्य की युति, धनु राशि में शुक्र, मकर में शनि और कुंभ राशि में गुरु विराजमान रहेंगे. वही इन सबमें सबसे खास रहेगा सूर्य ग्रहण के ठीक अगले दिन मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन. 5 दिसंबर 2021 को मंगल अपने स्वामित्व वाली राशि वृश्चिक में गोचर करेंगे. वही इस दिन दो बड़े ग्रह चंद्रमा और बुध ग्रह अस्त रहेंगे. जबकि राहु और केतु अपने स्वभाव के अनुसार वक्री रहेंगे.

यह राशि होगी सबसे ज्यादा प्रभाव

सूर्य ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि में केतु, चंद्रमा, बुध और सूर्य यानि इन चार ग्रहों की युति रहेगी. इस दौरान इस राशि में जहां एक तरफ सूर्य और बुध मिलकर, बुधादित्य योग बनाएंगे, तो वही चंद्रमा और केतु इसी राशि में ग्रहण योग भी बनाएंगे. ऐसे में इस सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव वृश्चिक राशि वालों पर ही होगा. ऐसे में इस राशि वाले लोगों को धन और सेहत के मामलों में सावधान रहने की जरूरत होगी. वही इस राशि के लोगों को खासा सावधानी बरतनी होगी. इस दौरान वृश्चिक राशि के जातकों को क्रोध, तनाव और अहंकार से दूर रहना होगा.

सूर्य ग्रहण में मान्य होगा सूतक काल?

वही बात अगर सूर्य ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल की करें तो 04 दिसंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. यह सूर्य ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा. आपको बता दें कि पूर्ण ग्रहण होने पर ही सूतक काल मान्य होता है. आंशिक या फिर उपछाया होने पर सूतक नियमों का पालन करना जरूरी नहीं माना जाता.

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