खजुराहो के मंदिर से जुड़ा अनजाना रहस्य…
खजुराहो का मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण चंदेला वंश के शासक चंद्रवर्मन जी ने करवाया था. इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण 950 ईसवी से 1050 ईसवी के बीच हुआ था. यह मंदिर अपनी कामोत्तेजक मूर्तियों एवं कलाकृतियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. चंद्रवर्मन जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था वह साधारण व्यक्ति नहीं थे. बल्कि वह भगवान चंद्र की संतान थे. और उन्होंने बहुत से मंदिरों की स्थापना की थी. जब चंदेला वंश के शासन की ताक़त का विस्तार हुआ तो उनके साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया.
जिसके बाद उन्होंने विश्व प्रसिद्ध इन मंदिरों का निर्माण किया. चंदेल वंश के शासकों ने अपनी राजधानी उत्तर प्रदेश में महोबा नामक स्थान को बना लिया था. खजुराहों के मंदिरों का सौंदर्य एवं आकर्षण वैसे तो आज भी अनोखा है किंतु 12वीं शताब्दी तक अद्भुत था. 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का सुल्तान जिसका नाम कुतुबुद्दीन था. उसने चंदेल वंश पर आक्रमण कर उनका चंदेला साम्राज्य छीन लिया था. जिसके बाद उसने इन मंदिरों में भी तोड़ फोड़ की इसी वजह से इसकी आकृतियों में भी पहले के मुताबिक थोड़ा बदलाव आ गया.
खजुराहो मंदिर का रहस्य
इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा काफ़ी प्रचलित है. काशी में एक बहुत प्रसिद्ध ब्राह्ममण रहते थे. जिनकी पुत्री का नाम था हेमावती. हेमावती बहुत खूबसूरत थीं. एक बार की बात है जब हेमावती नदी में स्नान कर रही थीं. तब चंद्रदेव की दृष्टि उनपर पड़ी और चन्द्रदेव उनकी सुंदरता को देखकर मोहित हो गए. और उन्होंने वेश बदलकर हेमा का अपहरण कर लिया. कुछ दिनों बाद दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया. दोनों ने एक दूसरे से विवाह कर लिया और उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम चन्द्रवर्मन था. हेमावती ने अपने पुत्र चंद्रवर्मन का पालन-पोषण जंगलों में ही किया था और वह अपने पुत्र को बहुत बलशाली राजा बनाना चाहती थीं. अपनी मां की अपेक्षाओं के अनुसार ही चंद्रवर्मन बहुत साहसी शासक बना जिसने चंदेला वंश का नाम रौशन किया. और खजुराहो के 85 मंदिरों का निर्माण किया. जो आज भी अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तेजक प्रतिमाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
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