Vastu for loan: कर्ज के बोझ से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्त, आने वाले मंगलवार को करना होगा बस ये काम

 
Vastu for loan: कर्ज के बोझ से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्त, आने वाले मंगलवार को करना होगा बस ये काम

Vastu for loan: इस जीवन में सबसे बड़ा अभिशाप कर्ज है. कर्ज व्यक्ति के जीवन में दुख के सिवाय कुछ नहीं देता है. अक्सर पैसों की तंगी के कारण लोग कर्ज लेते हैं. लेकिन सही समय पर कर्ज ना चुकाने पर वे लोग लगातार कर्ज में डूबते जाते हैं. जिसके चलते वे कर्जदारों के बीच भी फंस जाते हैं.

कर्ज एक ऐसा दलदल है जिससे लाखों कोशिशों के बाद भी निकलना मुश्किल हो जाता है. लेकिन आपको कर्ज से मुक्ति भक्त शिरोमणि भगवान हनुमान जी निकाल सकते हैं.

संकटमोचन कहलाने वाले हनुमान जी का ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पढ़ना बेहद लाभकारी माना जाता है. इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो इस स्त्रोत के पाठ से आपका दोष भी दूर होगा. तो आइए जानते हैं ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का संपूर्ण पाठ…

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Vastu for loan: कर्ज के बोझ से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्त, आने वाले मंगलवार को करना होगा बस ये काम
Imagecredit:- thevocalnewshindi

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का करें पाठ, मिलेगी लंबे कर्ज से पूरी मुक्ति

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्

Vastu for loan: कर्ज के बोझ से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्त, आने वाले मंगलवार को करना होगा बस ये काम
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अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः

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पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा

इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्

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