Vastu tips: जानिए किस दिशा में होना चाहिए आपके घर का शौचालय

 
Vastu tips: जानिए किस दिशा में होना चाहिए आपके घर का शौचालय

भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र की अधिक मान्यता है. इसी वजह से हिंदू धर्म में व्यक्ति किसी भी शुभ काम को करने से पूर्व पंचांग और वास्तु को देखते है. वास्तु के अनुसार ही वह अपने सभी कार्यों को सुनिश्चित करते है. जब भी कोई व्यक्ति अपना नया घर बनवाता है तो वह वास्तु का ध्यान रखता है. आज के इस आधुनिक समय में लोगों को वास्तु का इतना ज्ञान नही है इसके चलते वह अपना घर बनवाते वक्त कई ऐसी गलतियां कर देते है जिनकी वजह से उन्हें कई दुष्परिणाम देखने पढ़ते है.

घर में वास्तु के अनुसार शौचालय किस दिशा में होना चाहिए

आजकल बन रहे ज्यादातर घरों में स्थानाभाव, शहरी संस्कृति और शास्त्रों का ज्ञान नही होने के कारण अधिकतर लोग शौचालय और स्नान घर को एक साथ बनवा लेते हैं. इस कारण ऐसे घरों में वास्तुदोष उत्पन्न होता है. इनको भी वास्तु के हिसाब से ही बनवाना चाहिए, नहीं तो ये घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का कारण बनते हैं. इनकी गलत दिशा के कारण परिवार के लोगों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है और धन आदि की हानि का सामना भी करना पड़ सकता है. शौचालय का तात्पर्य है, जहां पर हम मल-मूत्र आदि का विसर्जन करते हैं. वास्तुशास्त्र के हिसाब से दक्षिण-पश्चिम दिशा को विसर्जन के लिए उत्तम माना गया है.

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वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बनाया गया शौचालय काफी लाभकारी है. इस दिशा बना शौचालय व्यक्ति की चिंता को कम करता है. दक्षिण-पूर्व जोन में शौचालय जीवन में समस्याएं उत्पन्न करता है. यह पवित्र आयोजनों, जैसे विवाह आदि में रुकावट उत्पन्न करता है. आत्मविश्वास, शारीरिक मजबूती में कमी और नौकरी करने वाले लोगों में आत्मविश्वास की कमी का कारण बनता है.

आराम और यश के दक्षिण दिशा में शौचालय के होने से इस घर में रहने वाले लोग प्रसिद्धि के लिए लालायित रहते हैं. जबकि दक्षिण-पश्चिम जोन में बना शौचालय हर उस चीज को विसर्जित कर देता है, जो आपके लाइफ के लिए बेकार है. यहां शौचालय होना ठीक है. दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय का होना पारिवारिक रिश्तों में कलह पैदा करता है. दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय हो, तो आप धन की बचत नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा स्कूल जाने वाले बच्चों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगेगा, क्योंकि यह दिशा शिक्षा और बचत की होती है. पश्चिम दिशा में शौचालय के होने से लोगों को भरपूर एवं गंभीर प्रयास के बावजूद वांछित परिणाम नहीं मिल पाता है. उत्तर-पश्चिम दिशा में बना शौचालय वहां रहने वाले निवासियों के मन से बेकार की संवेदनाओं को बाहर निकालने में सहायता करता है.

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