Vat Savitri vrat 2022: इस दिन त्रिदेवों से मिलता है सौभाग्यवती होने का वरदान, जानिए व्रत से जुड़े नियम और कथा…
Vat Savitri vrat 2022: हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए व्रत का विधि विधान से पालन करती हैं. साथ ही वट सावित्री व्रत के दौरान वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. मान्यता है कि आज के दिन वट वृक्ष की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को तीन प्रमुख देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही कारण है कि वट सावित्री व्रत वाले दिन बरगद के पेड़ के नीचे महिलाओं की एक लंबी कतार नजर आती है. ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको वट सावित्री व्रत रखने के पीछे के उद्देश्य, नियम और व्रत कथा के बारे में बताएंगे. ताकि आप इस दिन व्रत का विधि विधान से पालन करने लाभ उठा सके. तो चलिए जानते हैं.
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त
29 मई 2022 रात 08:54 से आरंभ
30 मई 2022 शाम 04:59 समाप्ति।।
वट सावित्री व्रत क्यों रखा जाता है?
वट सावित्री व्रत को रखने के पीछे एक विशेष धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि अश्वपति की कन्या सावित्री ने सत्यवान नामक एक पुरुष से शादी की थी. जोकि एक बार जंगल में लकड़ी काटने गया था. जहां यमराज ने उसके प्राण ले लिए. जिस पर जब सावित्री को ये मालूम पड़ा तब वह यमराज के पीछे चल पड़ी. और मृत्यु के देवता यमराज से कहने लगी कि आप कृपा करके मेरे सत्यवान के प्राण लौटा दीजिए.
जिस पर यमराज ने सावित्री से लौट जाने को कहा. लेकिन सावित्री ने उनकी एक ना सुनी. और यमराज के लाख समझाने के बाद जब सावित्री नहीं मानी. तब यमराज ने सावित्री की पतिव्रता से प्रसन्न होकर सत्यवान के प्राण लौटा दिए. इतना ही नहीं, सावित्री को यमराज ने सौ पुत्रों की माता होने का वरदान दिया और उसके अंधे सास ससुर की आंखें भी लौटा दी. कहते हैं तभी से वट सावित्री व्रत की विशेष धार्मिक महत्ता है.
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वट सावित्री व्रत के नियम
इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं.इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं.
उसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा रखें. फिर पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें.
इसके बाद पूजा की थाली जिसमें सुहाग का सारा सामान, बरगद का फल, पानी का कलश, फूल, धूप, दीपक, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, रोली, चना, पूड़ी, गुड़, मिठाई, हल्दी रंग का सूत, आदि रखें और पूजा करें.
इस दिन व्रत के दौरान वट यानि बरगद के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करें, इससे आपको हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. आप बरगद के पेड़ पर या 7 बार परिक्रमा करके कलावा या हल्दी का सूत बांध सकते हैं.
बरगद के पेड़ के चारों ओर करीब 7 बार परिक्रमा करते हुए अपने पति की दीर्घायु की कामना करें. उसके बाद व्रत की कथा का पाठ भी अवश्य करें. इस दिन आप संतान की प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें.
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते, पुत्रान पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणाध्यं नमोस्तुते।।
इस प्रकार, वट सावित्री व्रत वाले दिन उपरोक्त नियमों का पालन करके आप अपने व्रत को सफल बना सकते हैं.