Vat Savitri Vrat Katha: इस दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, होंगे अनेक लाभ

 
Vat Savitri Vrat Katha: इस दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, होंगे अनेक लाभ

Vat Savitri Vrat Katha: हिंदू धर्म में अनेक व्रत और पर्व ऐसे मनाए जाते हैं, जिनमें भारतीय स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु की कामना हेतु व्रत रखा जाता है. इसी तरह से हर साल जेठ के महीने में वट सावित्री व्रत का विधि-विधान से पालन किया जाता है. वट सावित्री का व्रत जयेष्ठ अमावस्या के दिन रखा जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भारतीय स्त्री अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत का पालन करती हैं. आपने अक्सर सत्यवान और सावित्री के बारे में सुना होगा, वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat Katha) इन दोनों की कहानी से ही संबंधित है. हमारे आज के इस लेख में हम आपको वट सावित्री व्रत की कथा के बारे में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…

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वट सावित्री व्रत की कथा(Vat Savitri Vrat Katha)

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार एक राजा थे, जिनका नाम राजर्षि अश्वपति था. उनकी पुत्री सावित्री का विवाह सत्यवान नामक व्यक्ति के साथ हुआ था. सत्यवान के पिता का नाम द्युमसेन था. सावित्री का विवाह सत्यवान के साथ जब हुआ, तब सावित्री के पिता को यह बात पता थी कि सत्यवान एक बेहद ही नेक व्यक्ति है लेकिन उसकी अल्पायु है. जिसके बारे में उन्होंने अपनी पुत्री सावित्री को भी बताया, लेकिन फिर भी सावित्री ने सत्यवान के साथ विवाह किया.

ऐसे में जब सत्यवान की मृत्यु का समय नजदीक आने लगा. तब सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल में लकड़ियां काटने जाने लगी. तब सत्यवान के प्राण लेने के लिए यमराज आए औऱ सत्यवान को अपने साथ यमलोक ले जाने लगे. यमराज ने सावित्री को वापस लौट जाने के लिए कहा,लेकिन वह फिर भी नहीं मानी और यमराज के पीछे-पीछे जाने लगी. इसके बाद यमराज ने सावित्री को वरदान मांगने के लिए कहा.

जिस पर सावित्री ने यमराज से अपने सास ससुर के आंखों की रोशनी को वापस देने का वरदान मांगा. इसके बाद फिर यमराज ने सावित्री को वापस लौट जाने के लिए कहा, लेकिन इसके बाद भी सावित्री ने यमराज से सौ पुत्रों का वरदान मांगा और फिर यमराज अंतर्ध्यान हो गए.

इसके बाद जब सावित्री ने लौटकर आकर देखा तो बरगद के पेड़ के पास सत्यवान जीवित खड़ा था और उधर सावित्री की वजह से उसके सास ससुर को राजपाट भी वापस मिल गया, तब से ही हिंदू धर्म में वट सावित्री के व्रत का पालन किया जाता है.

इस दिन भारतीय स्त्रियां अपने पति और वैवाहिक जीवन में सुख की कामना हेतु बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ (Vat Savitri Vrat Katha) अवश्य करती हैं.

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